छत्तीसगढ़ पुलिस अबूझमाड़ में हुई हालिया मुठभेड़ को पिछले 24 साल का सबसे बड़ा अभियान बता रही है. हालांकि, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की सिविल लिबर्टीज़ कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट से इसकी न्यायिक जांच की मांग की है.
छत्तीसगढ़ के बस्तर में मानवाधिकारों की चिंताजनक स्थिति पर एक हालिया रिपोर्ट कहती है कि सुरक्षा बलों के शिविरों को सरकार माओवादी आंदोलन को नियंत्रित करने के लिए ज़रूरी बताती है, वहीं ग्रामीणों का कहना है कि शिविरों से उन्हें अधिक असुरक्षा महसूस होती है.
साक्षात्कार: बस्तर में चल रहे संघर्ष और दमन पर समाजशास्त्री और दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफ़ेसर नंदिनी सुंदर की किताब 'द बर्निंग फ़ॉरेस्ट: इंडियाज़ वॉर इन बस्तर' का हिंदी अनुवाद हाल में आया है. क्षेत्र के हालात को लेकर विस्तृत शोध और सलवा जुडूम पर लड़ी गई कानूनी लड़ाई को लेकर उनसे बातचीत.
छत्तीसगढ़ पुलिस ने ग्रामीणों की हत्या पर एफआईआर तब दर्ज की थी, जब उनके परिजनों ने याचिका दायर की, फिर उसने विसंगतियों से भरी जानकारियां दीं, याचिकाकर्ताओं को गवाही दर्ज होने से पहले हिरासत में लिया गया, फिर भी सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर विश्वास करते हुए न्याय के लिए उस तक पहुंचे लोगों को दंडित करने का फैसला दिया.
बस्तर संभाग के बीजापुर ज़िले की स्पोर्ट्स अकादमी के पांच युवा आदिवासी जूडो-कराटे खिलाड़ियों ने सवर्ण जाति के दो कोच पर आरोप लगाया है कि ट्रेनिंग को लेकर ढुलमुल रवैये की बात कहने पर दोनों ने खिलाड़ियों को बुरी तरह पीटा और उसके बाद सभी बच्चों की ट्रेनिंग बंद करवा दी गई.
राज्य में नक्सल मोर्चे पर तैनात सहायक आरक्षकों के परिवारों ने पदोन्नति, वेतन वृद्धि जैसी कई मांगों के साथ इस हफ्ते रायपुर में प्रदर्शन किया था, जिसमें महिलाएं व बच्चे भी शामिल थे. यहां उनके साथ हुए कथित दुर्व्यवहार के बाद बीजापुर में हज़ारों सहायक आरक्षक अपने हथियार जमा करवाकर प्रदर्शन कर रहे हैं.
छत्तीसगढ़ के बीजापुर ज़िले के एडेसमेट्टा गांव में साल 2013 में सीआरपीएफ की कोबरा इकाई द्वारा की गई फायरिंग में आठ लोग मारे गए थे, जिसमें से चार नाबालिग थे. सुरक्षाबलों ने दावा किया था कि वे नक्सली थे. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज जस्टिस वीके अग्रवाल ने अपनी जांच रिपोर्ट में इस मुठभेड़ को ‘एक ग़लती’ बताया है.
छत्तीसगढ़ की दंतेवाड़ा पुलिस ने ‘पंचायतवार नक्सल संवेदनशील सर्वे’ शुरू किया है, जिसे साल में दो बार छह महीने पर किया जा जाएगा. सर्वे में नक्सलियों की मौजूदगी से जुड़े सवाल होंगे हैं, जिनके आधार पर गांवों को हरे, पीले और लाल क्षेत्रों में वर्गीकृत किया जाएगा. ‘हरे’ से मतलब नक्सल मुक्त क्षेत्र होगा, ‘पीले’ से नक्सल संवेदनशील क्षेत्र, जबकि ‘लाल’ से नक्सल अतिसंवेदनशील क्षेत्र से होगा. यह सर्वे इस साल जनवरी और जुलाई में किया जा चुका है.
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि नक्सलियों ने अपहृत पुलिस अधिकारी मुरली ताती के शव के पास एक पर्चा भी रखा था, जिसमें ताती को जन अदालत में सजा दिए जाने की बात कही गई है. बीते 21 अप्रैल को नक्सलियों ने बीजापुर ज़िले के पालनार क्षेत्र से मुरली ताती का अपहरण कर लिया था. पालनार ताती का गृह ग्राम है. वह बस्तर ज़िले के जगदलपुर में तैनात थे.
नक्सल समस्या केवल ‘पुलिस समस्या’ नहीं है जो केवल बल प्रयोग से हल हो जाए- इसके अनेक जटिल पहलू हैं. सरकार को अपना झूठा अहंकार त्यागकर उन पहलुओं को भी संबोधित करना चाहिए.
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में तीन अप्रैल को नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर हमले के बाद कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मिन्हास को बंधक बना लिया था. उनकी रिहाई के लिए नक्सलियों ने कुछ शर्तें रखी थीं, लेकिन गुरुवार को उन्हें बिना किसी शर्त के रिहा कर दिया गया.
सुप्रीम कोर्ट में सरकार की इस स्वीकारोक्ति से पहले पिछले कुछ महीनों में कई भाजपा नेता किसान आंदोलन में खालिस्तानियों के शामिल होने का आरोप लगा चुके हैं. यहां तक कैबिनेट मंत्री रविशंकर प्रसाद, पीयूष गोयल और कृषि नरेंद्र तोमर ने भी इस संबंध में माओवादी और टुकड़-टुकड़े गैंग जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया है.
विवादित पुलिस अधिकारी आईजी कल्लूरी को बीते दिनों आर्थिक अपराध विभाग और भ्रष्टाचार विरोधी विभाग की ज़िम्मेदारी देने पर भूपेश बघेल सरकार को ख़ासी आलोचना झेलनी पड़ी थी. 15 सांसदों ने कल्लूरी के ख़िलाफ़ जांच के लिए लिखा था सीएम को पत्र.
केरल, असम, तमिलनाडु और त्रिपुरा के 15 सांसदों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से आग्रह किया है कि आईजी कल्लूरी के बीते पांच सालों के कार्यकाल की जांच करवाकर उनके किए ग़लत कामों की सज़ा दी जाए.
क्या सत्ता के चरित्र में ही कुछ ऐसा है कि वह आपको अधर्म की ओर ले जाती है? वो भूपेश बघेल जो एसआरपी कल्लूरी को जेल भेजना चाहते थे, वही उन्हें अब महत्वपूर्ण पद सौंप रहे हैं. बघेल कह सकते हैं कि तब वे विपक्ष में थे और उसका कर्तव्य निभा रहे थे और अब उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी उनसे यह काम करवा रही है.