पूर्वोत्तर विशेष: किन मुद्दों पर लड़ा जाएगा नगालैंड और मिज़ोरम लोकसभा चुनाव

नगालैंड और मिज़ोरम में लोकसभा की एक-एक सीट है, जिसके लिए 19 अप्रैल को मतदान होना है. जहां नगालैंड में अलग राज्य की मांग प्रभावी है, वहीं मिज़ोरम में विधानसभा में करिश्मे की तरह उभरी ज़ोराम पीपल्स मूवमेंट आदिवासी समुदाय के मुद्दों की बात कर रही है. इस बारे में द वायर की वरिष्ठ पत्रकार संगीता बरुआ पिशारोती से चर्चा कर रही हैं मीनाक्षी तिवारी.

नगालैंड विधानसभा में प्रस्तावित समान नागरिक संहिता, वन संरक्षण संशोधन क़ानून का विरोध

नगालैंड विधानसभा में मानसून सत्र के पहले दिन एनपीएफ विधायक कुझोलुज़ो निएनु ने कहा कि नगाओं को अनुच्छेद 371ए के तहत विशेष सुरक्षा प्राप्त है और इसलिए समान नागरिक संहिता और वन संरक्षण संशोधन अधिनियम पर चर्चा की ज़रूरत है.

नगालैंड: फिर राज्य में विपक्ष रहित सरकार, एनडीपीपी-भाजपा गठबंधन के साथ हुए सभी दल

नगालैंड विधानसभा चुनाव में 60 में से 37 सीटें जीतने वाले नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) और सहयोगी भाजपा ने नेफ्यू रियो के नेतृत्व ने राज्य में अपनी दूसरी गठबंधन सरकार बना ली है. यह लगातार दूसरी बार है कि जीते हुए सभी विधायक सत्तारूढ़ गठबंधन का समर्थन कर रहे हैं.

नगालैंड: राज्य को पहली बार मिलीं महिला विधायक, दो प्रत्याशी विजयी

1963 में राज्य का दर्जा पाने वाले नगालैंड में अब तक चौदह विधानसभा चुनाव हुए हैं, लेकिन अब तक कोई महिला विधायक नहीं बनी थीं. इस बार उतरी चार प्रत्याशियों में से दीमापुर III सीट से हेकानी जखालु और  पश्चिमी अंगामी से सालहुटुआनो क्रूस ने जीत दर्ज की है. दोनों सत्तारूढ़ एनडीपीपी की सदस्य हैं.

विधानसभा चुनाव: त्रिपुरा और नगालैंड में भाजपा की जीत, मेघालय में एनपीपी से होगा गठबंधन

पूर्वोत्तर के तीनों राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. त्रिपुरा में भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन और नगालैंड में एनडीपीपी-भाजपा गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिला है. उधर, मेघालय में एनपीपी को 25 सीटें मिली हैं, लेकिन बहुमत से दूर होने के चलते गठबंधन सरकार बनने की उम्मीद है.

क्यों नगालैंड में कोई महिला अब तक विधानसभा चुनाव नहीं जीत सकी है

1963 में राज्य का दर्जा पाने वाले नगालैंड में अब तक चौदह विधानसभा चुनाव हुए हैं, लेकिन आज तक कोई भी महिला विधायक नहीं बनी है. आगामी विधानसभा चुनाव में चार महिला प्रत्याशी मैदान में हैं.

नॉर्थ ईस्ट डायरीः नगालैंड में देश की पहली विपक्ष रहित सरकार, विपक्ष सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में नगालैंड, मणिपुर,अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, असम, मिज़ोरम और त्रिपुरा के प्रमुख समाचार.

नगालैंडः नगा समूहों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की, शांति प्रक्रिया के लिए साथ काम करने पर सहमत

मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो के साथ बैठक में विभिन्न नगा जातियों, नागरिक समाज संगठनों के प्रतिनिधियों, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, चर्च के प्रतिनिधियों, नगा समाज की प्रमुख हस्तियों ने सात सूत्रीय प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए और केंद्र के साथ चल रही शांति प्रक्रिया को सुविधानजनक बनाने का आह्वान किया.

नगा शांति समझौते की बातचीत ‘तीसरे देश’ में करने की मांग नगा समूहों ने की थी

इस साल फरवरी में एनएससीएन-आईएम प्रमुख टी. मुईवाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में मांग की थी कि वार्ता सीधे प्रधानमंत्री स्तर पर बिना किसी पूर्व शर्त के हो. संगठन ने अब यह पत्र जारी करते हुए कहा कि वे चाहते हैं कि लोग जानें कि नगा समूहों के साथ पीएमओ का रवैया कितना अनुत्तरदायी था.

नगालैंड: एनपीएफ ने नगा शांति मुद्दे पर गठित फोरम से ख़ुद को अलग किया

केंद्र और एनएससीएन-आईएम के बीच नगा शांति वार्ता की प्रक्रिया को लेकर चल रही तनातनी के बीच नगालैंड के मुख्य विपक्षी दल नगा पीपुल्स फ्रंट ने इस मसले पर गठित विधायकों के फोरम से ख़ुद को अलग करते हुए कहा कि मुद्दे के समाधान के लिए मौजूदा सरकार की अनिच्छा की वजह से इसमें कोई प्रगति नहीं हो सकी.

नगालैंड: फिर छह महीने के लिए बढ़ाया गया आफस्पा, गृह मंत्रालय ने कहा अब भी ‘अशांत’

गृह मंत्रालय का कहना है कि समूचा नगालैंड क्षेत्र एक ऐसी ‘अशांत और ख़तरनाक स्थिति’ में है कि नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बल का इस्तेमाल ज़रूरी है.

नॉर्थ ईस्ट डायरी: हाईकोर्ट ने मणिपुर विश्वविद्यालय के कार्यवाहक वीसी को निलंबित किया

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मणिपुर, त्रिपुरा, मिज़ोरम, असम, अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड के प्रमुख समाचार.

आइडिया ऑफ इंडिया में पूर्वोत्तर भी शामिल, लेकिन इसे खुलकर नहीं अपनाया गया: संजय हज़ारिका

साक्षात्कार: पूर्वोत्तर राज्यों पर लिखी संजय हज़ारिका की नई किताब 'स्ट्रेंजर्स नो मोर' पिछली किताब ‘स्ट्रेंजर्स ऑफ द मिस्ट’ के करीब 25 साल बाद आई है. इस बीच इस क्षेत्र ने कई बदलाव देखे, लेकिन हज़ारिका का मानना है कि यहां के मूल मुद्दे अब भी वही हैं, जो तब थे.