महाराष्ट्र में बारिश का कहर जारी, कम से कम 136 लोगों की मौत

पश्चिमी महाराष्ट्र के पुणे मंडल में भारी बारिश और नदियों के उफान पर होने के चलते 84,452 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. इनमें 40,000 से अधिक लोग कोल्हापुर ज़िले से हैं.  पिछले दो दिनों से महाराष्ट्र में हो रही भारी बारिश के कारण रायगढ़, रत्नागिरी, पालघर, ठाणे, सिंधुदुर्ग, कोल्हापुर, सांगली और सतारा आदि ज़िले भीषण बाढ़ की चपेट में हैं. कर्नाटक में भारी बारिश में तीन लोगों की मौत और हज़ारों लोगों को सुरक्षित निकाला गया.

महाराष्ट्र: रायगढ़ ज़िले में भूस्खलन के कारण 36 लोगों की मौत

महाराष्ट्र के तटीय रायगढ़ ज़िले में यह हादसा महाड तहसील के तलाई गांव में बृहस्पतिवार शाम को हुआ. इस हादसे में मृतकों की संख्या बढ़ सकती है. मुंबई के गोवंडी में मकान ढहने से चार की मौत होने की सूचना है. पिछले दो दिनों से राज्य में हो रही भारी बारिश के कारण रायगढ़, रत्नागिरी, पालघर, ठाणे, सिंधुदुर्ग, कोल्हापुर, सांगली और सतारा ज़िलों में भीषण बाढ़ आई हुई है, जिसके कारण कई हादसे भी हो चुके हैं.

मेघालय: बारह दिनों से खदान में फंसे हैं पांच श्रमिक, सरकार ने नौसेना से मदद मांगी

मेघालय के ईस्ट जयंतिया हिल्स ज़िले के एक अवैध कोयला खदान में पांच श्रमिक बीते 31 मई से फंसे हुए हैं. ज़िला प्रशासन ने बताया कि खदान में पानी भरा हुआ है और बचावकर्मी जलस्तर कम होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. अवैध खनन के आरोप में खदान के मालिक को गिरफ़्तार किया गया है.

क्या ‘ग्रीन’ शब्द जुड़ जाने मात्र से कोई परियोजना प्रकृति अनुकूल हो जाती है

नदी, पहाड़, जैव-विविधता की अनदेखी कर बनी बड़ी हाइड्रो पावर परियोजनाओं से पैदा ऊर्जा को 'ग्रीन एनर्जी' कैसे कह सकते हैं? एक आकलन के अनुसार कई परियोजनाएं तो उनकी क्षमता की 25 प्रतिशत बिजली भी पैदा नहीं कर पा रही हैं. तो अगर ये परियोजनाएं व्यावहारिक नहीं हैं, तो सरकार ज़िद पर क्यों अड़ी है?

उत्तराखंड आपदा: हादसों के ढेर पर बैठे हैं लेकिन सबक कुछ नहीं

भूगर्भ वैज्ञानिक निरंतर चेतावनी दे रहे हैं कि सभी ऊंचे हिमालयी क्षेत्रों में विभिन्न मौसमी बदलाव हो रहे हैं. ऐसे में तरह-तरह के हाइड्रोप्रोजेक्ट बनाने की ज़िद प्राकृतिक हादसों को आमंत्रण दे रही है. सबसे चिंताजनक यह है कि केंद्र या उत्तराखंड सरकार इन क्षेत्रों में लगातार हो रहे हादसों से कुछ नहीं सीख रही है.

उत्तराखंड आपदा: एक और शव मिला, मृतक संख्या बढ़कर 62 हुई, 142 लोग अब भी लापता

बीते सात फरवरी को उत्तराखंड के चमोली ज़िले की ऋषिगंगा घाटी में पर ग्लेशियर टूटने से हिमस्खलन हुआ था, जिससे नदी के किनारे 13.2 मेगावाट की एक जलविद्युत परियोजना ध्वस्त हो गई थी, जबकि धौलीगंगा के साथ लगती एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना को व्यापक नुकसान पहुंचा था.

उत्तराखंड में एक बार फ़िर कुदरत ने बरपाया क़हर

वीडियो: उत्तराखंड के जोशीमठ में रविवार नंदादेवी ग्लेशियर के फटने की वजह से धौलीगंगा नदी में विकराल बाढ़ आ गई. रेस्क्यू ऑपरेशन अब भी जारी है. तपोवन विष्णुगाढ़ हाइड्रो पॉवर प्लांट पूरी तरह से तहस-नहस हो गया है. इस विषय पर पर्यावरण के लिए काम करने वाले पत्रकार कबीर अग्रवाल से बातचीत.

अधूरे ज्ञान के आधार पर हिमालय से छेड़छाड़ रोकी जाए: चिपको आंदोलन नेता

चिपको आंदोलन के नेता और मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित 87 वर्षीय चंडी प्रसाद भट्ट ने कहा कि ऋषिगंगा और धौली गंगा में जो हुआ वह प्रकृति से खिलवाड़ करने का परिणाम है. 13 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना की गुपचुप स्वीकृति देना इस तरह की आपदाओं के लिए ज़मीन तैयार करने जैसा है.

उत्तराखंड आपदा ग्लेशियर टूटने से नहीं, लाखों मीट्रिक टन बर्फ फिसलने से आई: मुख्यमंत्री रावत

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि वहां कोई हिमखंड नहीं टूटा है. इसरो की तस्वीरों में कोई ग्लेशियर नज़र नहीं आ रहा है और पहाड़ साफ दिखाई दे रहा है. वैसे भी हादसे वाली जगह आपदाओं के प्रति संवेदनशील नहीं है.

उत्तराखंड ग्लेशियर आपदा: मृतक संख्या 31 पर पहुंची, बचाव कार्य जारी

उत्तराखंड राज्य आपदा परिचालन केंद्र के अनुसार, ग्लेशियर टूटने से आई आपदा में 171 लोगों के लापता होने की सूचना है. लापता लोगों में पनबिजली परियोजनाओं में कार्यरत लोगों के अलावा आसपास के गांवों के स्थानीय लोग भी हैं जिनके घर बाढ़ के पानी में बह गए.

मंत्री रहते हुए गंगा और उसकी मुख्य सहायक नदियों पर पनबिजली परियोजना के ख़िलाफ़ थी: उमा भारती

भाजपा नेता उमा भारती ने कहा है कि उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने के कारण हुई त्रासदी चिंता का विषय होने के साथ-साथ चेतावनी भी है. उन्होंने कहा कि मंत्री रहने के दौरान उन्होंने आग्रह किया था कि हिमालय एक बहुत संवेदनशील स्थान है, इसलिए गंगा और उसकी मुख्य सहायक नदियों पर पनबिजली परियोजनाएं नहीं बननी चाहिए.

उत्तराखंड ग्लेशियर आपदा: अब तक 11 शव बरामद, राहत और बचाव कार्य जारी

उत्तराखंड के चमोली ज़िले की ऋषिगंगा घाटी में ग्लेशियर टूटने से रविवार को अचानक आई भीषण बाढ़ से प्रभावित 13.2 मेगावाट ऋषिगंगा और 480 मेगावाट तपोवन विष्णुगढ़ पनबिजली परियोजनाओं में काम कर रहे तक़रीबन 200 लोग लापता हो गए हैं. उनकी तलाश के लिए सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के जवान जुटे हुए हैं.

उत्तराखंड: ग्लेशियर टूटने से गढ़वाल क्षेत्र में आई विकराल बाढ़, 150 श्रमिक लापता

चमोली ज़िले के नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क से निकलने वाली ऋषिगंगा के ऊपरीक्षेत्र में टूटे हिमखंड से धौलगंगा और अलकनंदा घाटी में आई बाढ़ ने रैणी गांव के पास बने ऋषिगंगा बिजली परियोजना को भारी नुकसान पहुंचा है. परियोजना स्थल से डेढ़ सौ के क़रीब लोग लापता हैं और अब तक कुछ शव बरामद किए गए हैं.