विनोद दुआ ने द वायर को क्या दिया…

स्मृति शेष: विनोद दुआ का चालीस सालों का टीवी न्यूज़ का अनुभव और दर्शकों से उनका दुर्लभ जुड़ाव उनके पहले डिजिटल प्रयास में ही इतनी आसानी से घुल-मिल गया कि जल्द ही उन्होंने बड़े पैमाने पर दर्शकों को आकर्षित किया.

देश का पारंपरिक न्यूज़ मीडिया अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रहा है

महामारी के बाद से मीडिया उपभोक्ताओं का एक बड़ा वर्ग अख़बार नहीं खरीद रहा है. डिजिटल मीडिया से प्रतिस्पर्धा के चलते विज्ञापन दरों में क़रीब 40 फीसदी की कमी हुई है. कुछ अपवादों को छोड़ दें, तो न्यूज़ मीडिया क्षेत्र के लगभग सभी बड़े नाम ख़तरे की स्थिति से बाहर आने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.