कश्मीर में फोन लाइन, इंटरनेट, समाचार चैनल बंद किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

कांग्रेस कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला द्वारा दायर याचिका में राज्य की जमीनी हकीकत का पता लगाने के लिए एक न्यायिक आयोग का गठन करने और उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं को रिहा करने की भी मांग की गई है.

एक महीने में टीवी चैनलों ने नरेंद्र मोदी को 722 घंटे दिखाया, जबकि राहुल गांधी को सिर्फ़ 251 ​घंटे

वरिष्ठ पत्रकार कावेरी बामजई बता रही हैं कि लोकसभा चुनाव के दौरान 1 से 28 अप्रैल के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टीवी पर सबसे ज्यादा एयरटाइम मिला. प्रधानमंत्री ने इस एक महीने में 64 रैलियां की थीं, ज​बकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 65 रैलियों में शामिल हुए थे.

सोशल मीडिया पर राजनीतिक संवाद तर्क पर कम और मन के विश्वास पर ज़्यादा आधारित है

मुद्दा ये नहीं है कि आप किसका समर्थन करते हैं. आप बिल्कुल उन्हीं को चुने जिसका आपको मन है, लेकिन ये उम्मीद ज़रूर है कि आप अपने विवेक पर पर्दा न डालें.

न्यूज़ चैनल अब जनता के नहीं, सरकार के हथियार हैं

2019 का चुनाव जनता के अस्तित्व का चुनाव है. उसे अपने अस्तित्व के लिए लड़ना है. जिस तरह से मीडिया ने इन पांच सालों में जनता को बेदख़ल किया है, उसकी आवाज़ को कुचला है, उसे देखकर कोई भी समझ जाएगा कि 2019 का चुनाव मीडिया से जनता की बेदख़ली का आख़िरी धक्का होगा.

क्या सत्ता के सामने भारतीय मीडिया रेंगने लगा है?

संपादकों का काम सत्ता के प्रचार के अनुकूल कंटेट को बनाए रखने का है और हालात ऐसे हैं कि सत्तानुकूल प्रचार की एक होड़ मची हुई है. धीरे-धीरे हालात ये भी हो चले हैं कि विज्ञापन से ज़्यादा तारीफ़ न्यूज़ रिपोर्ट में दिखाई दे जाती है.

मीडिया बोल, एपिसोड 60: मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह बलात्कार मामला और मीडिया

मीडिया बोल की 60वीं कड़ी में उर्मिलेश बिहार में मुज़फ़्फ़रपुर के एक बालिका गृह में रह रहीं लड़कियों से बलात्कार के मामले पर हुई मीडिया कवरेज पर पत्रकार अलका रंजन और सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार शीतल प्रसाद सिंह से चर्चा कर रहे हैं.

हिंदू-मुस्लिम 15 दिन न्यूज़ चैनल देखना छोड़ दें तो दोनों में प्यार हो जाएगा: अनुभव सिन्हा

रा वन, तुम बिन, गुलाब गैंग जैसी फिल्में बनाने वाले निर्देशक अनुभव सिन्हा ने कहा कि देश से हर हिंदुस्तानी प्यार करता है, उन्हें अपनी देशभक्ति साबित करने के लिए मजबूर न किया जाए.

मीडिया बोल, एपिसोड 59: नफ़रत की सियासत, चैनल बने प्रचारक

मीडिया बोल की 59वीं कड़ी में उर्मिलेश एक समाचार चैनल की बहस में हुई हाथापाई, स्वामी अग्निवेश पर हुए हमले और अविश्वास प्रस्ताव की मीडिया कवरेज पर वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार और वरिष्ठ पत्रकार शीबा असलम फ़हमी से चर्चा कर रहे हैं.

पत्रकारिता को स्टिंग ऑपरेशन से ज़्यादा ख़तरा ज़हर फैला रहे मीडिया से है

मीडिया मालिक अख़बारों और न्यूज़ चैनलों को सुधारने के लिए कुछ करें या न करें, लेकिन यह तो तय है कि जब तक हर रोज़, हर न्यूज़रूम में प्रतिरोध की आवाज़ें मौजूद रहेंगी, तब तक भारतीय पत्रकारिता बनी रहेगी.