कांग्रेस नेता डॉली शर्मा ने भाजपा नेता अतुल गर्ग पर आरोप लगाए थे, जिसे आधार बनाकर ग़ाज़ियाबाद के पत्रकार इमरान ख़ान ने अपने अख़बार में ख़बर प्रकाशित की. यूपी पुलिस ने इसे मानहानि के लिए पर्याप्त मानते हुए इमरान को गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया.
वीडियो: नेशनल हेराल्ड अख़बार की शुरुआत 1938 में जवाहरलाल नेहरू की संस्था 'एजेएल' ने की थी और वो इसके पहले संपादक भी थे. नेहरू जब प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने इस पद से इस्तीफ़ा दे दिया. पहले प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए अख़बार के दफ़्तर में आज ताले क्यों पड़े हैं? याक़ूत अली की रिपोर्ट.
मोहम्मद हसन के नाटक ‘ज़ह्हाक’ में सत्ता के उस स्वरूप का खुला विरोध है जिसमें सेना, कलाकार, लेखक, पत्रकार, अदालतें और तमाम लोकतांत्रिक संस्थाएं सरकार की हिमायती हो जाया करती हैं. नाटक का सबसे बड़ा सवाल यही है कि मुल्क की मौजूदा सत्ता में ‘ज़ह्हाक’ कौन है? क्या हमें आज भी जवाब मालूम है?
मामला संभल का है, जहां चिकन की दुकान के मालिक तालिब हुसैन को देवी-देवताओं के चित्र वाले अख़बार में चिकन लपेटने पर धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया. पुलिस का दावा है कि हुसैन ने गिरफ़्तार करने गई टीम पर चाकू से हमला किया, वहीं उनके वकील ने कहा कि उन्हें फंसाया जा रहा है.
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने एक मीडिया संस्थान के ख़िलाफ़ दर्ज मानहानि के मुक़दमे की सुनवाई में कहा कि एफआईआर पर आधारित ख़बर पर मानहानि की शिकायत दर्ज कराना रिपोर्टर को चुप कराने और आरोपियों के ख़िलाफ़ छपी ख़बर को जबरन वापस लेने का प्रयास करवाने के अलावा और कुछ नहीं है.
बेंगलुरु-चेन्नई शताब्दी एक्सप्रेस में शुक्रवार को अंग्रेजी अख़बार ‘द आर्यावर्त एक्सप्रेस’ बांटा गया, जिसके मुख्य पृष्ठ पर इस्लामी शासन और औरंगज़ेब के संबंध में लेख छपे थे. जबकि आईआरसीटीसी का कहना है कि इस ट्रेन में डेक्कन हेराल्ड और एक कन्नड़ अख़बार बांटे जाने का निर्देश दिया गया है. एक यात्री ने जब ट्विटर पर इसके ख़िलाफ़ आपत्ति जताई तो रेलवे प्रबंधन ने सफाई पेश करते हुए जांच की बात कही है.
घटना रायबरेली की है, जहां कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में आरोप लगाया गया था कि ज़िले में स्वास्थ्य आपातकाल के दौरान 20 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन पड़ोसी ज़िले कानपुर भेजी गई. ज़िला प्रशासन ने तीन स्थानीय पत्रकारों को नोटिस जारी कर उन जानकारियों का स्रोत पूछा है, जिसके आधार पर ख़बरें लिखी गई थीं.
वीडियो: इतनी सारी सामाजिक-आर्थिक मुश्किलों के बीच मीडिया में किसी संकीर्ण धारा की राजनीतिक प्रयोगशाला में गढ़े हुए ‘लव जिहाद’ जैसे शब्द राष्ट्रीय-समाचार और ब्रेकिंग न्यूज़ क्यों बनते हैं? हाल में ‘एयर स्ट्राइक’ की एक फ़र्ज़ी ख़बर काफ़ी देर तक न्यूज़ चैनलों पर क्यों और कैसे चलती रही? इन मुद्दों पर वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष से वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश की बातचीत.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने एक याचिका में केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि उसने देश में कोरोना वायरस की शुरुआत में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए फैलाई फेक न्यूज़ रोकने के लिए ज़्यादा कुछ नहीं किया. इसके जवाब में केंद्र ने हलफनामा दाखिल कर कहा था कि अधिकांश प्रमुख राष्ट्रीय समाचार पत्रों ने ‘मोटे तौर पर तथ्यात्मक रिपोर्ट ’ प्रकाशित की थीं और मीडिया के सिर्फ एक छोटे-से वर्ग ने ही ऐसा किया था.
त्रिपुरा से प्रकाशित होने वाले दैनिक ‘प्रतिबादी कलम’ के संपादक ने बताया कि उन्होंने कृषि विभाग में हुए कथित 150 करोड़ रुपये के घोटाले के संबंध में रिपोर्ट्स की एक शृंखला प्रकाशित की और यह उसी का परिणाम है.
दो जून को जारी जम्मू कश्मीर की नई मीडिया नीति के अनुसार, सरकार अख़बारों और अन्य मीडिया चैनलों पर आने वाली सामग्री की निगरानी कर यह तय करेगी कि कौन-सी ख़बर 'फेक, एंटी सोशल या एंटी-नेशनल' है. ऐसा पाए जाने पर संबंधित संस्थान को सरकारी विज्ञापन नहीं दिए जाएंगे, साथ ही उनके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी.
जम्मू कश्मीर में चार अगस्त की शाम से पाबंदियां लागू हैं. परेशान पत्रकारों ने अब मांग की है कि सरकार को कम से कम मीडिया संस्थानों के ब्रॉडबैंड कनेक्शन बहाल करने चाहिए.
प्रेस काउंसिल ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर राष्ट्रीय हितों का हवाला देते हुए जम्मू कश्मीर में मीडिया पर लगे प्रतिबंधों का समर्थन किया था.
साक्षात्कार: जम्मू कश्मीर में मीडिया की स्वतंत्रता को बहाल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाली कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन से विशाल जायसवाल की बातचीत.
जम्मू कश्मीर में संचार व्यवस्थाएं पूरी तरह से ठप होने के कारण न कश्मीरी अख़बार छपे, न ही समाचार वेबसाइट अपडेट हुईं.