क्या स्वास्थ्य संबंधी असुविधाजनक आंकड़े देने के चलते आईआईपीएस निदेशक को हटाया गया?

वीडियो: जुलाई में स्वास्थ्य मंत्रालय ने एनएफएचएस तैयार करने वाले इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंसेज के निदेशक को निलंबित कर दिया था, क्योंकि वह एनएफएचएस-5 के ‘आंकड़ों से नाखुश’ था. बीते दिनों उनके इस्तीफ़ा देने के बाद यह निलंबन रद्द किया गया. पूरा घटनाक्रम बता रही हैं बनजोत कौर.

आईआईपीएस निदेशक का निलंबन रद्द करने के बाद सरकार ने उनका इस्तीफ़ा स्वीकार किया

स्वास्थ्य मंत्रालय ने बीते 28 जुलाई को इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंसेज (आईआईपीएस) के निदेशक को निलंबित कर दिया था, क्योंकि वह एनएफएचएस-5 के तहत ‘जारी आंकड़ों से नाखुश’ था. उनका निलंबन औपचारिक रूप से पिछले सप्ताह रद्द कर दिया गया था. निदेशक का निलंबन तब तक जारी रहा, जब तक उन्होंने अपना इस्तीफा नहीं दे दिया.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे बताता है कि गुजरात के बच्चों में कुपोषण का स्तर चिंताजनक है

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार, शहरी आबादी वाले चार प्रमुख जिलों अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा और राजकोट में 2015-16 से 2020-21 तक की अवधि के दौरान कुछ आदिवासी ज़िलों की तुलना में बच्चों में बौनापन, कमज़ोरी, गंभीर कुपोषण और कम वज़न के मामलों में तेज़ वृद्धि देखी गई.

14 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वालों के ख़िलाफ़ पॉक्सो के तहत केस दर्ज होंगे: असम सीएम

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्य में औसतन 31 प्रतिशत शादियां ‘निषिद्ध उम्र’ में होती हैं. कार्रवाई करने के संबंध में उन्होंने कहा कि  यह दंडात्मक अभियान राज्य में उच्च मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित करने के उद्देश्य से है. यह एक तटस्थ और धर्मनिरपेक्ष कार्रवाई होगी. 

तेज़ी से घट रही मुस्लिम आबादी की रफ़्तार, मुंह के बल गिरा संघी प्रोपेगेंडा

वीडियो: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो दशकों में सभी धार्मिक समुदायों में मुसलमानों की जनसंख्या में सबसे तेज़ गिरावट देखी गई है. समुदाय की प्रजनन दर 2019-2021 में गिरकर 2.3 हो गई, जो 2015-16 में 2.6 थी. इस मुद्दे पर चुनाव आयोग के पूर्व प्रमुख एसवाई क़ुरैशी से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.

देश की तीस फीसदी महिलाएं शारीरिक और यौन हिंसा की शिकार: सरकारी सर्वेक्षण

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार, देश में 18-49 आयुवर्ग की 32% विवाहित महिलाओं ने शारीरिक, यौन या भावनात्मक वैवाहिक हिंसा का सामना किया है. रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के ख़िलाफ शारीरिक हिंसा के 80% से अधिक मामलों में अपराधी उनके पति रहे हैं.

11 राज्यों व एक केंद्र शासित प्रदेश की 70% महिलाओं ने साथ हुई घरेलू हिंसा के बारे में नहीं बताया

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के रिपोर्ट के मुताबिक़, जम्मू कश्मीर में अपने साथ हुई घरेलू हिंसा के बारे में न बताने वाली महिलाओं का अनुपात 80 प्रतिशत से अधिक रहा. आठ राज्यों में दस प्रतिशत से भी कम महिलाओं ने शारीरिक हिंसा से बचने के लिए मदद मांगी.

फैमिली हेल्थ सर्वे में पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाओं ने पति द्वारा मारपीट को जायज़ बताया

देश के 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में किए गए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में पूछा गया था कि क्या पति का पत्नी को मारना-पीटना सही है. सर्वे में शामिल राज्यों में से एक तेलंगाना की 83.8 फीसदी महिलाओं ने इसे जायज़ कहा, वहीं कर्नाटक में 81.9 फीसदी पुरुषों ने इस तरह के व्यवहार को सही ठहराया.

14 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में आधी से अधिक महिलाएं और बच्चे एनीमिया के शिकार: सर्वेक्षण

चौदह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए जनसंख्या, प्रजनन व बाल स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, पोषण और अन्य विषयों के प्रमुख संकेतकों से जुड़े तथ्य 2019-21 एनएफएचएस -5 के चरण दो के तहत जारी किए गए हैं. सर्वे के मुताबिक़, बच्चों और महिलाओं में एनीमिया चिंता का विषय बना हुआ है.

पिछले साल नवंबर तक नौ लाख से अधिक बच्चे थे अत्यंत कुपोषित

आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह के एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि आईसीडीएस-आरएसएस पोर्टल के मुताबिक, मंत्रालय ने 30 नवंबर 2020 तक देश में ऐसे नौ लाख से अधिक बच्चों की पहचान की है, जो अत्यंत कुपोषित हैं. इन बच्चों की उम्र छह महीने से छह साल के बीच है. इनमें से तकरीबन चार लाख बच्चे उत्तर प्रदेश से थे.

बिहार, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा में 40 फ़ीसदी महिलाओं का विवाह 18 साल से कम उम्र में हुआ: सर्वे

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के सर्वे से पता चला है कि आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल में 15 वर्ष से 19 वर्ष की आयुवर्ग में सबसे ज़्यादा संख्या में महिलाएं या तो मां बन चुकी थीं या गर्भवती थीं.