पिछले साल नवंबर में हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान राज्य में भाजपा की एकमात्र मुस्लिम उम्मीदवार रहीं फातिमा रसूल सिद्दीकी ने कहा कि प्रज्ञा ठाकुर की उम्मीदवारी को लेकर उन्होंने पार्टी से नाराजगी जाहिर की थी.
हेमंत करकरे की बेटी जुइ नवारे ने कहा कि मेरे पिता ने हमें सिखाया कि आतंकवाद एक विचारधारा है और इसे पराजित करना है. मेरे पिता एक रोल मॉडल हैं और उनका नाम सम्मान के साथ लिया जाना चाहिए.
बाबरी मस्जिद को लेकर प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बयान पर भाजपा नेता फ़ातिमा रसूल सिद्दीक़ी ने कहा कि इससे मुसलमानों के बीच पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि ख़राब हुई है.
शहीद अधिकारी हेमंत करकरे पर प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बयान से नाराज़ करकरे के पूर्व सहयोगी ने भोपाल लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाख़िल किया.
मालेगांव धमाके की आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने भी भोपाल से अपना नामांकन दाख़िल किया. डमी उम्मीदवार को लेकर मध्य प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि अगर कहीं आधिकारिक उम्मीदवार का नामांकन किसी तकनीकी या क़ानूनी वजहों से रद्द होता है तो पार्टी के पास विकल्प मौजूद हो.
मालेगांव बम धमाके की आरोपी और भोपाल से भाजपा की उम्मीदवार प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा, ‘हमारे प्रभु राम जी के मंदिर में अपशिष्ट पदार्थ थे हमने उनको हटा दिया. हम गर्व करते हैं इस बात पर हमारे देश का स्वाभिमान जागा है. प्रभु राम का भव्य मंदिर भी बनाएंगे.’
उत्तर प्रदेश में गोरखपुर से भाजपा विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल ने कहा कि हेमंत करकरे आतंकवादियों से मुक़ाबला करते हुए शहीद हो गए और उनकी शहादत का अपमान करना शर्मनाक है.
मालेगांव धमाका मामले की आरोपी और भोपाल से भाजपा की उम्मीदवार प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने बोला था, ‘हेमंत करकरे से मैंने कहा था कि तेरा सर्वनाश होगा.’
आईपीएस एसोसिएशन ने भोपाल लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार प्रज्ञा सिंह ठाकुर द्वारा महाराष्ट्र एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे को 'श्राप' देने वाले बयान की निंदा की है.
2008 में हुए आतंकवादी हमले में मारे गए महाराष्ट्र एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे पर टिप्पणी करते हुए भोपाल से भाजपा उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि जब मैं वहां गई तो इसके सूतक लग गया, सवा महीने बाद जब इसे आतंकवादियों ने मारा, तब उसका अंत हुआ.
लोग कह रहे हैं कि इस चुनाव में भाजपा का भरोसा छूट रहा है, उसने साध्वी को लाकर ब्रह्मास्त्र चलाया है. यह परीक्षा वास्तव में भाजपा की नहीं है, यह हिंदुओं का इम्तिहान है. क्या वे धर्म के इस अर्थ को स्वीकार करने को तैयार हैं?
भाजपा मतदाताओं को यह दिखाने के लिए कि वह आतंक पर सख़्त है, उस मौजूदा कश्मीर नीति से छेड़छाड़ कर रही है, जो अलगाववादियों के साथ सामंजस्य लाने के उद्देश्य से बनाई गई थी. एक ऐसी नीति, जो राज्य को बर्बादी की कगार से वापस लाई थी.
समझौता एक्सप्रेस मामले की सुनवाई कर रहे जज ने कहा कि अभियोजन कई गवाहों से पूछताछ और उपयुक्त सबूत पेश करने में नाकाम रहा इसलिए मजबूरन आरोपियों को बरी करना पड़ा. जब एनआईए जैसी शीर्ष जांच एजेंसी एक भयानक आतंकी हमले के हाई-प्रोफाइल मामले में इस तरह बर्ताव करती है, तो देश की जांच और अभियोजन व्यवस्था की क्या साख रह जाती है?
भारत सरकार यूं तो कहती है कि आतंकवादी कहीं छिपा हो वह उसे निकाल लाएगी, लेकिन इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्री का कहना था कि क्यों सरकार आगे की अदालत में इस फैसले के ख़िलाफ़ अपील करे? जिसे करना हो करे, सरकार क्यों करे? इससे क्या फायदा होगा?
एनआईए अदालत के जज जगदीप सिंह ने अपने फैसले में कहा, 'मुझे गहरे दर्द और पीड़ा के साथ फैसले का समापन करना पड़ रहा है क्योंकि विश्वसनीय और स्वीकार्य साक्ष्यों के अभाव की वजह से इस जघन्य अपराध में किसी को गुनहगार नहीं ठहराया जा सका.'