पहले संसदीय संबोधन में उपराष्ट्रपति ने एनजेएसी क़ानून रद्द करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधा

सभापति के रूप में राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करते हुए अपने पहले संबोधन में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक आयोग क़ानून ख़ारिज किए जाने को लेकर कहा कि यह ‘संसदीय संप्रभुता से गंभीर समझौता’ और उस जनादेश का ‘अनादर’ है जिसके संरक्षक उच्च सदन व लोकसभा हैं.

कॉलेजियम बहस में उतरे उपराष्ट्रपति, कहा- एनजेएसी क़ानून को रद्द किया जाना गंभीर मसला

कॉलेजियम प्रणाली को लेकर चल रही खींचतान के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के 2015 में एनजेएसी अधिनियम रद्द करने को लेकर कहा कि संसद द्वारा पारित एक क़ानून, जो लोगों की इच्छा को दर्शाता है, उसे शीर्ष अदालत ने ‘रद्द’ कर दिया और ‘दुनिया को ऐसे किसी भी क़दम के बारे में कोई जानकारी नहीं है.’

न्यायपालिका पर क़ानून मंत्री की टिप्पणी पर हरीश साल्वे बोले- उन्होंने लक्ष्मण रेखा पार कर ली है

कॉलेजियम को लेकर केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू की हालिया टिप्पणी से असहमति जताते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि अगर वह सोचते हैं कि सुप्रीम कोर्ट को किसी असंवैधानिक क़ानून को देखते हुए ख़ुद को रोकना चाहिए और उसमें संशोधन के लिए सरकार की दया पर रहना चाहिए, तो यह ग़लत है.

कॉलेजियम बनाम केंद्र: सिफ़ारिश किए गए 21 जजों में से क़ानून मंत्रालय ने 2 की नियुक्ति मंज़ूर कीं

एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम द्वारा की गईं 21 लंबित सिफ़ारिशों में से 19 को वापस भेज दिया है. वहीं, केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने एक ट्वीट के माध्यम से उन दो नामों का खुलासा किया है जिनकी जजों के तौर पर नियुक्ति को सरकार ने मंज़ूरी दी है.

केंद्र ने जज नियुक्ति की 20 फाइल कॉलेजियम को लौटाई, सुप्रीम कोर्ट की रिजिजू की टिप्पणी पर आपत्ति

हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति संबंधी 20 फाइलों को केंद्र सरकार ने पुनर्विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को लौटा दिया है. 20 सिफारिशों में से 11 नई हैं, जबकि कॉलेजियम ने 9 सिफारिशें फिर से दोहराई थीं. दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा कॉलेजियम प्रणाली पर की गई टिप्पणी पर आपत्ति दर्ज कराई है.

कॉलेजियम की आलोचना पर सीजेआई बोले- संवैधानिक लोकतंत्र में कोई भी संस्था परफेक्ट नहीं

संविधान दिवस के उपलक्ष्य में हुए एक कार्यक्रम में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कॉलेजियम के सभी न्यायाधीश संविधान को लागू करने वाले वफ़ादार सैनिक हैं. जब हम ख़ामियों की बात करते हैं, तो हमारा समाधान है- मौजूदा व्यवस्था के भीतर काम करना.

पूर्व सीजेआई ललित ने कॉलेजियम व्यवस्था का बचाव किया, कहा- यह आदर्श प्रणाली है

भारत के पूर्व सीजेआई यूयू ललित ने जजों की नियुक्ति करने वाली कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना करने वाली केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू की टिप्पणियों पर कहा कि वो उनके निजी विचार हैं. उन्होंने यह भी जोड़ा कि सरकार चाहे तो एनजेएसी अधिनियम वापस ला सकती है लेकिन बदलाव क़ानून के अनुरूप होना चाहिए.

बिना विकल्प के कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना का कोई अर्थ नहीं: पूर्व सीजेआई टीएस ठाकुर

भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने कहा कि कोई भी यह नहीं कह सकता है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली सबसे उत्तम प्रणाली है, लेकिन इस प्रणाली में सुधार किया जा सकता है जैसा कि प्रधान न्यायाधीश ने हाल ही में उल्लेख किया था.

न्यायिक नियुक्ति आयोग पर क़ानून मंत्री बोले- सुप्रीम कोर्ट देश की इच्छा पर सहमत नहीं हुआ

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली के अपारदर्शी होने की बात दोहराते हुए कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम देश की सामूहिक इच्छा थी, जिससे सुप्रीम कोर्ट सहमत नहीं हुआ.

क़ानून मंत्री बोले- न्यायपालिका कार्यपालिका में हस्तक्षेप न करे, जजों की नियुक्ति सरकार का काम

केंद्रीय क़ानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि न्यायाधीशों का आधा समय और दिमाग़ यह तय करने में लगा रहता है कि अगला न्यायाधीश कौन होगा. उन्होंने यह भी कहा कि जिस प्रकार मीडिया पर निगरानी के लिए भारतीय प्रेस परिषद है, ठीक उसी प्रकार न्यायपालिका पर निगरानी की एक व्यवस्था होनी चाहिए.

70 साल में संविधान में किए गए 103 संशोधन, सिर्फ एक को सुप्रीम कोर्ट ने बताया असंवैधानिक

राज्यसभा सचिवालय के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने केवल 99वें संविधान संशोधन को असंवैधानिक करार दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2015 में जजों द्वारा जजों की नियुक्ति की 22 साल पुरानी कॉलेजियम प्रणाली की जगह लेने वाले राष्ट्रीय न्यायिक आयोग कानून, 2014 को निरस्त कर दिया था.

जजों की नियुक्ति: एनजेएसी क़ानून को निरस्त करने के फैसले पर पुनर्विचार याचिका ख़ारिज

सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर 2015 को जजों द्वारा जजों की नियुक्ति की 22 साल पुरानी कॉलेजियम प्रणाली की जगह लेने वाले एनजेएसी क़ानून, 2014 को असंवैधानिक और अमान्य घोषित किया था.

पूर्ण बहुमत की सरकार न्यायपालिका को नियंत्रित करने की कोशिश करती है: जस्टिस चेलमेश्वर

जस्टिस जे. चेलमेश्वर ने कहा कि सत्ता का दुरुपयोग करना इंसानी फितरत है. सत्ता की मनमानी को रोकने के लिए ही संविधान की ज़रूरत पड़ी और इसका जन्म हुआ.

क्या न्यायपालिका की स्वतंत्रता छीन रही है मोदी सरकार?

केंद्र सरकार पर न्यायिक नियुक्तियों को प्रभावित करने के आरोप लग रहे हैं. बीते कुछ सालों में हुई नियुक्तियों पर गौर करें तो ऐसे कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं जो भविष्य की एक ख़तरनाक तस्वीर बनाते हैं.