दिल्ली दंगा: चुनाव आयोग पर पुलिस से मतदाता सूची साझा करने का आरोप, आयोग ने किया इनकार

चुनाव आयोग ने एक स्पष्टीकरण जारी कर कहा कि वे अन्य सरकारी विभागों के साथ मतदाता सूची और फोटो परिचय पत्र साझा करने के साल 2008 के अपने दिशा-निर्देशों से किसी भी तरह नहीं भटका है.

दिल्ली दंगों की साज़िश तो ज़रूर रची गई, लेकिन वैसी नहीं जैसी पुलिस कह रही है

फरवरी महीने में हुए दंगे और उसके बाद हुई 'जांच' का मक़सद सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के लिए ज़िम्मेदार ठहराना है, जिससे उनके आंदोलन को बदनाम किया जा सके. साथ ही भविष्य में ऐसा कोई प्रदर्शन करने के बारे में आम नागरिकों में डर बैठाया जा सके.

दिल्ली दंगा: दोहरे मानदंडों और पक्षपातपूर्ण कार्रवाई की कहानी

दिल्ली हिंसा से जुड़े मामलों में दिल्ली पुलिस के पक्षपाती रवैये को लेकर लगातार उंगलियां उठीं. इस धारणा को इसलिए भी बल मिला क्योंकि पुलिस ने गिरफ़्तार किए गए लोगों के बारे में अधिक जानकारी सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया.

दिल्ली पुलिस के पास ताहिर हुसैन को दंगों से जोड़ने का कोई सबूत नहीं: वकील

बीते दिनों दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि पूर्व आप पार्षद ताहिर हुसैन ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में शामिल होने की बात स्वीकार ली है. हुसैन के वकील जावेद अली का कहना है कि उनके मुवक्किल ने कभी इस तरह का कोई बयान नहीं दिया. पुलिस के पास अपने दावों की पुष्टि के लिए कोई साक्ष्य नहीं हैं.

दिल्ली दंगा: ताहिर हुसैन की ‘साज़िशें’ और अंकित शर्मा की हत्या की पहेली

दिल्ली पुलिस द्वारा आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को दिल्ली दंगों के मुख्य साज़िशकर्ता के रूप में पेश किया गया है. हालांकि इस पूरे मामले में हुसैन की भूमिका से जुड़े तथ्य किसी और तरफ ही इशारा करते हैं.

दिल्ली दंगे: जब राजधानी हिंसा की आग में जल रही थी, तब गृह मंत्री और मंत्रालय क्या कर रहे थे? 

फरवरी के आख़िरी हफ्ते में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में जो कुछ भी हुआ, उसकी प्रमुख वजहों में से एक केंद्रीय बलों को तैनात करने में हुई देरी है. साथ ही गृह मंत्री का यह दावा कि हिंसा 25 फरवरी को रात 11 बजे तक ख़त्म हो गई थी, तथ्यों पर खरा नहीं उतरता.

दिल्ली दंगा: दो तथाकथित फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट की समीक्षा जवाबों की बजाय सवालों को गहराती है

उत्तर पूर्वी दिल्ली में बीते फरवरी में हुई सांप्रदायिक हिंसा को 'लेफ्ट-जिहादी-नेटवर्क' द्वारा करवाया 'हिंदू-विरोधी' दंगा बताकर पेश करने की कोशिशें की गई हैं. लेकिन सच्चाई क्या है?