‘खेला’ अपने बिखराव और उलझाव के बावजूद साहसिक उपन्यास है…

पुस्तक समीक्षा: नीलाक्षी सिंह का ‘खेला’ आसानी से हाथ आने वाला कथानक नहीं है. इसमें कई पात्रों का भंवर जाल-सा है, तो कहीं लगता है कि समकालीन विमर्शों का लावा फूट पड़ा है.