सीआईसी की पीएमओ को फटकार, रघुराम राजन द्वारा भेजे गए घोटालेबाजों के नाम सार्वजनिक करने को कहा

सीआईसी ने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि पीएमओ जानकारी देने से मना कर रहा है. उनका नैतिक, संवैधानिक और राजनीतिक कर्तव्य है कि वो भारत के नागरिकों को बड़े बैंक डिफॉल्टर्स और उनके खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी दे.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन, आरबीआई ने तीन साल बाद भी नहीं बताया शीर्ष 100 डिफॉल्टरों के नाम

विशेष रिपोर्ट: सुप्रीम कोर्ट ने तीन साल पहले दिसंबर 2015 में आरबीआई की सभी दलीलों को ख़ारिज करते हुए अपने फैसले में कहा था कि आरबीआई देश के शीर्ष 100 डिफॉल्टरों के बारे में जानकारी दे और इससे संबंधित सूचना वेबसाइट पर अपलोड करे.

केंद्र और आरबीआई के बीच बढ़ रहे झगड़े का नतीजा विनाशकारी हो सकता है

भारतीय रिज़र्व बैंक की निधियां राष्ट्र की सामाजिक संपत्ति हैं और जनहित का हवाला देकर मनमाने ढंग से उनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.

सीआईसी का आदेश, रघुराम राजन द्वारा भेजी गई घोटालेबाजों की सूची पर सरकार जानकारी दे

केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने 50 करोड़ रुपये और उससे अधिक का ऋण लेने और जानबूझकर उसे नहीं चुकाने वालों के नाम के संबंध में सूचना नहीं उपलब्ध कराने को लेकर आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल को कारण बताओ नोटिस भेजा है.

बड़े उद्योगपतियों की मदद के लिए आरबीआई पर मोदी सरकार का हमला घातक साबित होगा

बेस्ट ऑफ 2018: आरबीआई अधिनियम की धारा 7 का इस्तेमाल जनहित में नहीं है- यह मौके की फ़िराक़ में बैठे कॉरपोरेट्स को आरबीआई द्वारा पैसा देने के लिए मजबूर करने के इरादे से उठाया गया एक बेशर्मी भरा कदम है.

रघुराम राजन ने मोदी को ही भेजी थी एनपीए घोटालेबाज़ों की सूची, कार्रवाई पर सरकार की चुप्पी

द वायर एक्सक्लूसिव: एक आरटीआई के जवाब में आरबीआई ने बताया कि पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत वित्त मंत्रालय को एनपीए घोटालेबाज़ों की सूची भेजी थी. सूची के संबंध में हुई कार्रवाई पर जानकारी देने से केंद्र सरकार का इनकार.

जब बैंक क़र्ज़ बांट रहे थे और वह एनपीए हो रहा था तो आरबीआई क्या कर रहा था: कैग

बैंकों की 31 मार्च, 2018 की स्थिति के मुताबिक 9.61 लाख करोड़ रुपये से अधिक के एनपीए में केवल 85,344 करोड़ रुपये कृषि और संबंधित क्षेत्र का है जबकि 7.03 लाख करोड़ रुपये की मोटी राशि औद्योगिक क्षेत्र को दिए गए क़र्ज़ से जुड़ी है.

रुपये में गिरावट, बढ़ता एनपीए चिंता का विषय है: पूर्व आरबीआई गवर्नर

रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान ने कहा कि देश खराब प्रशासन व्यवस्था, विभिन्न मुद्दों पर राज्यों में प्रदर्शन और गैर-धर्मनिरपेक्ष घोषणाओं जैसी समस्याओं का सामना कर रहा है.

मोदी राज की मेहरबानी- अमीरों के 3 लाख करोड़ लोन माफ़ हुए, मंत्री ने ट्वीट तक नहीं किया

मोदी सरकार के चार सालों में 21 सरकारी बैंको ने 3 लाख 16 हज़ार करोड़ के लोन माफ़ किए हैं. यह भारत के स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा के कुल बजट का दोगुना है. सख़्त और ईमानदार होने का दावा करने वाली मोदी सरकार में तो लोन वसूली ज़्यादा होनी चाहिए थी, मगर हुआ उल्टा. एक तरफ एनपीए बढ़ता गया और दूसरी तरफ लोन वसूली घटती गई.

एनपीए के घोटालेबाज़ों पर रघुराम राजन की सूची पर संसदीय समिति ने पीएमओ से मांगा जवाब

भाजपा सांसद मुरली मनोहर जोशी की अध्ययक्षता वाली प्राक्कलन समिति को भेजे अपने नोट में रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा था कि उन्होंने पीएमओ को एनपीए के फ़र्ज़ीवाड़े के बड़े मामलों की एक सूची भेजी थी, ताकि उनकी गंभीरतापूर्वक जांच की जा सके.

बड़ी कंपनियों से क़र्ज़ वसूली व बढ़ते एनपीए से ध्यान भटकाने के लिए हो रहा बैंकों का विलय: यूनियन

आॅल इंडिया बैंक आॅफिसर्स कनफेडरेशन ने कहा कि इससे पहले एसबीआई के साथ पांच सहयोगी बैंकों के विलय हुआ था, लेकिन कोई चमत्कार नहीं हुआ. गुजरात बैंक कर्मचारी यूनियन का कहना है कि इससे बेरोज़गारी बढ़ेगी.

एनपीए पर रघुराम राजन की रिपोर्ट रसूख़दारों पर सरकारी मेहरबानी का दस्तावेज़ है

अब यह देखा जाना बाक़ी है कि क्या मोदी सरकार इन बड़े कॉरपोरेट घरानों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में सफल हो पाती है, जो आने वाले आम चुनावों में अज्ञात चुनावी बॉन्डों के सबसे बड़े ख़रीदार हो सकते हैं.

माल्या को ‘माल्या’ किसने बनाया?

विजय माल्या ने हर दल की मदद से खुद को राज्यसभा में पहुंचाकर भारत की संसदीय परंपरा को उपकृत किया. मैं माल्या के इस योगदान का सम्मान करता हूं. इस मामले में प्रो-माल्या हूं. क्या माल्या बहुत बड़े राजनीतिक विचारक थे? जिन-जिन लोगों ने उन्हें संसद में पहुंचाया वो सामने आकर बोले तों. वन सेंटेंस में!

जनता एनपीए विवाद में उसी तरह उल्लू बन रही है जैसे हिंदू-मुस्लिम डिबेट में बनती है

अगर यह राजनीतिक विवाद किसी भी तरह से आर्थिक अपराध का है तो दस लाख करोड़ रुपये लेकर फरार अपराधियों के नाम लिए जाने चाहिए. किसके राज मे लोन दिया गया यह विवाद है, किसे लोन दिया गया इसका नाम ही नहीं है.

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