कलकत्ता हाईकोर्ट ने 2010 से बंगाल में कई समुदायों को दिए गए अन्य पिछड़ा वर्ग का दर्जा रद्द करते हुए कहा कि ओबीसी न केवल इसलिए घोषित किया जाता है क्योंकि वह वैज्ञानिक और पहचान योग्य आंकड़ों के आधार पर पिछड़ा है, बल्कि इस आधार पर भी घोषित किया जाता है कि ऐसे वर्ग का राज्य की अधीनस्थ सेवाओं में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व है.