यह अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए निराशाजनक दौर है

यह एक कठोर हक़ीक़त है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी को बचाए रखने वाले हर क़ानून के अपनी जगह पर होने के बावजूद समाचारपत्रों और टेलीविज़न चैनलों ने बिना प्रतिरोध के आत्मसमर्पण कर दिया है और ऊपर से आदेश लेना शुरू कर दिया है.

क्या सरकार ने सोशल मीडिया पर नज़र रखने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं?

सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले उपक्रम बेसिल ने 25 अप्रैल 2018 को एक टेंडर सोशल मीडिया कम्युनिकेशन हब नाम से जारी किया है. इसके माध्यम से सरकार फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नज़र रखेगी.

प्रेस की आज़ादी के असली दुश्मन बाहर नहीं, बल्कि अंदर ही हैं

मोदी के चुनाव जीतने के बाद या फिर उससे कुछ पहले ही मीडिया ने अपनी निष्पक्षता ताक पर रखनी शुरू कर दी थी. ऐसा तब है जब सरकार और प्रधानमंत्री ने मीडिया को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया है. मीडियाकर्मियों की जितनी ज़्यादा अवहेलना की गई है, वे उतना ही ज़्यादा अपनी वफ़ादारी दिखाने के लिए आतुर नज़र आ रहे हैं.

मीडिया बोल, एपिसोड 45: आंबेडकर पर सियासत और मीडिया

मीडिया बोल की 45वीं कड़ी में उर्मिलेश आंबेडकर पर सियासत और मीडिया कवरेज पर जेएनयू के प्रो. विवेक कुमार और वरिष्ठ पत्रकार पूर्णिमा जोशी से चर्चा कर रहे हैं.

आॅनलाइन मीडिया पर मोदी सरकार के हमले से उठते सवाल

आम चुनाव नज़दीक हैं और यह साफ़ है कि केंद्र की सत्तारूढ़ मोदी सरकार आॅनलाइन मीडिया पर लगाम लगाना चाह रही है जिसने पिछले कुछ सालों में सरकार को आईना दिखाने का काम किया है.

मीडिया बोल, एपिसोड 44: ऑनलाइन मीडिया पर अंकुश की तैयारी

मीडिया बोल की 44वीं कड़ी में उर्मिलेश सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा न्यूज पोर्टल और मीडिया वेबसाइट्स को रेग्युलेट करने के लिए कमेटी बनाए जाने पर चर्चा कर रहे हैं.

अब आॅनलाइन मीडिया की निगरानी के लिए नियम-क़ानून बनाएगी सरकार

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने न्यूज़ पोर्टल और वेबसाइटों को रेग्युलेट करने के लिए नियम बनाने को लेकर दस सदस्यीय कमेटी का गठन किया है.