ओडिशा सरकार ने डॉक्टरों को दवाई का पर्चा पढ़ने लायक लिखावट में लिखने का निर्देश दिया

ओडिशा सरकार ने राज्य के डॉक्टरों को ‘न्यायिक प्रणाली में साक्ष्यों के संबंध में’ मेडिको-लीगल रिपोर्ट या पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को बड़े अक्षरों में या टाइप किए गए रूप में या पढ़ने लायक लिखावट में लिखने का भी निर्देश दिया. हाल ही में उड़ीसा हाईकोर्ट ने कहा था कि डॉक्टरों के बीच टेढ़ी-मेढ़ी लिखावट का चलन फैशन बन गया है.

सरकार द्वारा सिफ़ारिश लंबित रखने के बाद कॉलेजियम ने जस्टिस मुरलीधर के ट्रांसफर को वापस लिया

इस सिफ़ारिश को वापस लेने का सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का फैसला केंद्र सरकार के जवाब का छह महीने से अधिक समय तक इंतज़ार करने के बाद आया है. कॉलेजियम ने सितंबर 2022 को उड़ीसा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस. मुरलीधर को मद्रास हाईकोर्ट में ट्रांसफर की सिफ़ारिश की थी, तब से यह बिना किसी प्रतिक्रिया के सरकार के पास लंबित है.

ढिंकिया में ग्रामीणों के ख़िलाफ़ पुलिस की ज़्यादती को तुरंत रोका जाना चाहिए: ओडिशा हाईकोर्ट

ओडिशा हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि ग्रामीणों और पुलिस के बीच बीते 14 जनवरी को हुई हिंसक झड़प के बाद से जगतसिंहपुर ज़िले के ढिंकिया गांव के लोगों का सामान्य जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. आरोप है कि ढिंकिया में प्रस्तावित जेएसडब्ल्यू स्टील प्लांट स्थल पर पान के खेतों को नष्ट करने का विरोध कर रहे ग्रामीणों की पुलिस ने बर्बरतापूर्वक पिटाई की थी.

ज़मानत देने के लिए कठिन शर्तें लगाना ज़मानत से इनकार करने के समान: सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी उड़ीसा उच्च न्यायालय के उस आदेश को ख़ारिज करते हुए की जिसमें धोखाधड़ी के मामले में ज़मानत की मांग करने वाले एक व्यक्ति के आवेदन को अनुमति देते हुए 20 लाख रुपये की नकद ज़मानत राशि और 20 लाख रुपये की अचल संपत्ति की शर्त लगाई गई थी.

संदेह भले ही मज़बूत हो लेकिन वह सबूत की जगह नहीं ले सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने उड़ीसा हाईकोर्ट के एक निर्णय को बरक़रार रखते हुए कहा कि किसी भी आरोपी के ख़िलाफ़ सबूतों की कड़ी इतनी पूर्ण होनी चाहिए कि उसके ख़िलाफ़ आरोप को साबित किया जा सके. हाईकोर्ट ने बिजली का करंट देकर एक होमगार्ड की हत्या करने के दो आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था.

उड़ीसा हाईकोर्ट का सरकार को निर्देश, सुनिश्चित करें कि डॉक्टर पढ़ने लायक दवा का पर्चा लिखें

उड़ीसा हाईकोर्ट ने कहा है कि चिकित्सा पेशवर, चिकित्सा-क़ानूनी मामलों में शामिल डॉक्टर अपनी जांच और टिप्पणी पढ़ने लायक लिखें, इसके लिए उनमें जागरूकता लाने के लिए उचित क़दम उठाए जाएं.

भारतीय न्यायपालिका के इतिहास का एक दुखद क्षण

पूर्व क़ानून मंत्री शांति भूषण बता रहे हैं कि 10 नवंबर को मुख्य न्यायाधीश की अदालत में जो हुआ, वह सर्वोच्च न्यायालय और भारत की न्यायपालिका के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े करता है.

न्यायाधीश रिश्वत मामला: दो जजों की बेंच के फैसले को पांच जजों की संविधान पीठ ने पलटा

मामले में कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एनजीओ की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण कोर्ट से यह कहते हुए निकल गए कि उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी जा रही है.