वीडियो: सोशल मीडिया पर रामदेव का एक वीडियो वायरल हुआ है. इसमें वो एक समाचार चैनल पर कोरोना मरीज़ों का मज़ाक उड़ाते नज़र आ रहे हैं. रामदेव ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे लोगों को योग करने की सलाह दे रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि इससे ऑक्सीजन का स्तर बढ़ जाएगा.
वीडियो: उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अब तक 72 हजार से अधिक कोरोना वायरस के मामले आ चुके हैं और तक़रीबन 700 लोगों की मौत हुई है. मोदी ने कोरोना काल में अपने इस संसदीय क्षेत्र का एक बार भी दौरा नहीं किया है. हालांकि इस दौरान वह दूसरे राज्यों के विधानसभा चुनावों में लगातार सक्रिय रहे.
कोरोना की दूसरी लहर के बीच दिल्ली के कोविड केंद्रों पर स्वास्थ्यकर्मियों की कमी की ओर इशारा करते हुए कोर्ट ने कहा कि जब चुनाव आते हैं तो हर अख़बार में पूरे पन्ने का विज्ञापन दिखाई देता है लेकिन अब चिकित्सकों और नर्सिंग कर्मियों की ज़रूरत को लेकर प्रमुख अख़बारों में कोई विज्ञापन नहीं है.
आंध्र प्रदेश के तिरुपति स्थित सरकारी रुइया अस्पताल में सोमवार देर रात हुआ हादसा. परिजनों का आरोप है कि ऑक्सीजन सप्लाई 25 से 45 मिनट के लिए बाधित हुई थी. वहीं डीएम ने कहा है कि ऑक्सीजन की आपूर्ति पांच मिनट के भीतर बहाल हो गई थी.
इंडियन ओवरसीज़ कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा ने कहा कि भारत में आम दिनों में औसतन 30 हज़ार लोगों की मौत होती है. ऐसे में कोरोना से अगर प्रतिदिन 3,000 अतिरिक्त लोगों की मौत हो रही है तो फिर अंतिम संस्कार के लिए कतारें नहीं लगनी चाहिए थी. इसका मतलब यह है कि मरने वालों का जो आंकड़ा बताया जा रहा है, वह सही नहीं है.
बीते 30 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिस तरह से केंद्र सरकार की वर्तमान वैक्सीन नीति को बनाया गया है, इससे प्रथमदृष्टया जनता के स्वास्थ्य के अधिकार को क्षति पहुंचेगी, जो कि संविधान के अनुच्छेद 21 का एक अभिन्न तत्व है. सुप्रीम कोर्ट ने वैक्सीन निर्माता कंपनियों द्वारा अलग-अलग कीमत तय करने के संबंध में केंद्र से जानकारी मांगी थी.
बनासकांठा ज़िले में एक गौशाला में ‘वेदालक्षणा पंचगव्य आयुर्वेद कोविड आइसोलेशन सेंटर’ शुरू हुआ है, जहां हल्के लक्षण वाले कोरोना मरीज़ों का दूध, घी और गोमूत्र से बनी दवाइयों से इलाज करने का दावा किया गया है. वहीं एक भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह ने दावा किया है कि हर सुबह खाली पेट गोमूत्र पीने से कोरोना वायरस ख़त्म हो जाएगा, हालांकि इस बात का कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है.
कोशिकीय एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र के पूर्व निदेशक डॉक्टर राकेश मिश्रा का कहना है कि कोविड-19 से लड़ाई में स्वास्थ्य ढांचा बहुत दबाव में है. नए अस्पताल और सुविधाएं लाए जा सकते हैं, लेकिन प्रशिक्षित मानव संसाधन नहीं मिलेगा. इसलिए सबसे कारगर तरीका यही है कि लोगों को संक्रमित होने से बचाया जाए.
अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल लांसेट ने अपने संपादकीय में मोदी सरकार की आलोचना करते हुए लिखा है कि बार-बार चेतावनी देने के बाद भी सरकार लापरवाह बनी रही और भारत को कोरोना विजयी घोषित कर दिया. जर्नल ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि आगामी अगस्त तक भारत में करीब 10 लाख कोरोना मौतें हो सकती हैं.
कोविड-19 संक्रमित मरीज़ों के इलाज के लिए समर्पित निजी और सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में भर्ती के लिए संशोधित राष्ट्रीय नीति में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि किसी भी मरीज़ को ऑक्सीजन या आवश्यक दवाओं आदि समेत किसी भी मद में सेवा देने से इनकार नहीं किया जा सकता, भले ही वह किसी दूसरे शहर का ही क्यों न हो.
इलाहाबाद हाईकोर्ट को बताया गया कि हाल के समय में सरकार का ध्यान बड़े शहरों पर रहा है और छोटे ज़िले एवं शहर दुर्भाग्य से नज़रअंदाज़ कर दिए गए और मीडिया ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया. अब ग्रामीण इलाकों में महामारी का प्रकोप बढ़ते हुए देखा जा रहा है और उचित चिकित्सा सुविधा के अभाव में स्थिति ख़राब हुई है.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर कहा था कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने का आदेश पारित किया है. इससे तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन के आपूर्ति नेटवर्क व्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और यह व्यवस्था पूरी तरह से ढह जाएगी. शीर्ष अदालत ने कहा कि कर्नाटक के लोगों को लड़खड़ाते हुए नहीं छोड़ा जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित यह टास्क फोर्स कोविड-19 के इलाज के लिए आवश्यक दवाओं के तर्कसंगत और समान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उपाय सुझाएगा और महामारी के कारण सामने आईं अन्य चुनौतियों को पूरा करने के लिए सदस्यों के वैज्ञानिक और विशेष ज्ञान के आधार पर इनपुट देगा. अदालत ने केंद्र और राज्यों से इसे सहयोग करने के लिए कहा है.
गोमती नगर के सन हॉस्पिटल ने तीन मई को एक नोटिस में रोगियों के परिजनों से ऑक्सीजन की कमी के चलते उनके मरीज़ को अस्पताल से शिफ्ट करने की बात कही थी. इसके बाद लखनऊ प्रशासन ने अस्पताल पर ऑक्सीजन की कमी को लेकर 'झूठी ख़बर' फैलाने के आरोप में मामला दर्ज करवाया है. अस्पताल ने कहा है कि वे इसके ख़िलाफ़ हाईकोर्ट जाएंगे.
राष्ट्रीय राजधानी को ऑक्सीजन आपूर्ति के मामले को सुन रही सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि केंद्र को अदालत के अगले आदेश तक रोज़ाना दिल्ली को 700 मीट्रिक टन तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करनी है. ऐसा न हो कि एक दिन के लिए आपूर्ति हुई और फिर 'टैंकर नहीं हैं' और परिवहन में दिक्कतें हैं, जैसे कई विरोध-पत्र दायर किए जाएं.