कोविड-19 प्रबंधन पर राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए स्वत: संज्ञान मामले पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने साफ किया कि सोशल मीडिया पर लोगों से मदद के आह्वान सहित सूचना के स्वतंत्र प्रवाह को रोकने के किसी भी प्रयास को न्यायालय की अवमानना माना जाएगा.
केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार अदालत के सवाल पर हलफ़नामा देगी और मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र को अधिक ऑक्सीजन देने का कारण बताएगी. इस बीच केंद्र ने राज्यों से शुक्रवार को कहा कि वे उपलब्ध ऑक्सीजन को महत्वपूर्ण वस्तु की तरह लें और निजी अस्पतालों समेत सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत की समीक्षा करवाएं.
भारत में कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप के बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता ने बताया कि उन्होंने भारत को ज़रूरत पड़ने पर एकीकृत आपूर्ति श्रृंखला से मदद का प्रस्ताव दिया था, जिसके जवाब में उन्हें बताया गया कि इसकी ज़रूरत नहीं है क्योंकि भारत के पास यथोचित ‘मज़बूत व्यवस्था’ है.
ऑक्सीजन टैंकरों को विभिन्न राज्यों द्वारा रोकने के संबंध में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य सहित हर राज्य से यह अपेक्षा की जाती है कि वह ऑक्सीजन की आवाजाही को बाधित न करें. ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति से अस्पतालों में समय पर ऑक्सीजन की आपूर्ति में बाधा आ सकती है, जो संकट के इस समय में जीवन बचाने के लिए महत्वपूर्ण है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को ऑक्सीजन की कमी के कारण अस्पतालों के नर्सिंग होम में हुईं मौतों के संबंध में रिपोर्ट दाख़िल करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया कि वह ऑक्सीजन सिलेंडरों और कोविड रोगियों के इलाज से जुड़ीं महत्वपूर्ण दवाओं की कालाबाज़ारी रोके तथा ऑक्सीजन वितरण से जुड़े मुद्दे का समाधान करे.
कोविड-19 मामलों में बेतहाशा वृद्धि को ‘राष्ट्रीय संकट’ बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि हाईकोर्ट क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर महामारी की स्थिति पर नज़र रखने के लिए बेहतर स्थिति में है और सुप्रीम कोर्ट पूरक भूमिका निभा रहा है तथा उसके ‘हस्तक्षेप को सही परिप्रेक्ष्य में समझना चाहिए’ क्योंकि कुछ मामले क्षेत्रीय सीमाओं से भी आगे हैं.
वीडियो: देश में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के ख़िलाफ़ केंद्र की मोदी सरकार की तैयारियों और उसकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रही हैं आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
महाराष्ट्र के ठाणे स्थित वेदांता अस्पताल का मामला. मृतकों के परिजन ने ऑक्सीजन की कमी को मौत का कारण क़रार दिया. महाराष्ट्र सरकार में मंत्री एवं राकांपा विधायक जितेंद्र आव्हाड ने ऑक्सीजन की कमी से मौत की बात से इनकार करते हुए मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं. भाजपा नेता किरीट सोमैया ने कहा कि आग या ऑक्सीजन की वजह से सात ऐसी घटनाएं हुईं, जिसमें 150 कोविड मरीजों की मौत हो गई.
हरियाणा के हिसार में सोमवार को पांच लोगों की मौत हुई है. इसी तरह बीते रविवार को रेवाड़ी के अस्पताल में चार और गुड़गांव के एक अस्पताल में चार लोगों की मौत के मामले सामने आए हैं. परिजनों ने ऑक्सीजन की कमी से मौत का आरोप लगाया है, प्रबंधन ने इससे इनकार किया है. तीनों ही मामलों में जांच के आदेश दे दिए गए हैं.
यह आदेश कोरोना महामारी की नई लहर के चलते देश के कई हिस्सों, विशेषकर दिल्ली में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी के बीच आया है. केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए इसके औद्योगिक इस्तेमाल पर रोक लगाने की ज़रूरत थी.
ह्वाइट हाउस ने कहा कि अमेरिकी प्रशासन कोविड-19 महामारी से लड़ाई में भारत को आपातकालीन सहायता मुहैया कराने के साथ ही कोविशील्ड टीके के भारतीय निर्माता को तत्काल कच्चा माल उपलब्ध कराने को लेकर दिन-रात काम कर रहा है.
वीडियो: कोरोना वायरस के भीषण संक्रमण से जूझ रहे महाराष्ट्र में बीते 23 अप्रैल को एक और बड़ा हादसा हो गया. पालघर जिले में विरार के विजय वल्लभ कोविड अस्पताल में आग लग गई, जिसमें 14 मरीजों की मौत हो गई. इससे दो दिन पहले 21 अप्रैल को नासिक के कोविड-19 अस्पताल में ऑक्सीजन लीक हो जाने के बाद 24 लोगों जान चली गई थी.
संसद की स्वास्थ्य संबंधी स्थायी समिति ने पिछले साल नवंबर में अपनी रिपोर्ट में यह पैरवी भी की थी कि राष्ट्रीय औषधि मूल्य प्राधिकरण को ऑक्सीजन सिलेंडर की कीमत का निर्धारण करना चाहिए, ताकि इसकी किफ़ायती दर पर उपलब्धता सुनिश्चित हो सके. समिति ने अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या बढ़ाने का भी सुझाव दिया था.
दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों द्वारा दायर ऑक्सीजन की कमी संबंधी मामले सुनते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से महामारी की चरम स्थिति आने पर इंफ्रास्ट्रक्चर, अस्पताल, चिकित्साकर्मियों, दवाई, टीका और ऑक्सीजन के आशय में तैयारियों को लेकर सवाल करते हुए कहा कि हम इसे लहर कह रहे हैं, यह असल में एक सुनामी है.
राष्ट्रीय राजधानी के रोहिणी इलाके के जयपुर गोल्डन अस्पताल को उन्हें आवंटित ऑक्सीजन का कोटा शुक्रवार शाम को मिल जाना था, लेकिन यह आधी रात में पहुंचा. अस्पताल के निदेशक ने बताया कि उनके पास उपलब्ध ऑक्सीजन का भंडार कम होने के कारण फ्लो घट गया था, जिसके बाद मरीज़ों को नहीं बचाया जा सका.