नागरिकता क़ानून के विरोध में उर्दू लेखक मुज्तबा हुसैन लौटाएंगे पद्म सम्मान

83 साल के मुज्तबा हुसैन ने कहा कि हमारा लोकतंत्र बिखर रहा है. अब कोई सिस्टम नहीं है, किसी को सुबह सात बजे शपथ दिलाई जा रही है, सरकारें रात में बन रही हैं. देश भर में डर का माहौल है.