भ्रष्ट आचरण का दोषी पाए जाने के बाद जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने ब्रिटिश अख़बार के लिए एक लेख लिखा है. इसमें उन्होंने पाकिस्तान की सेना और सुरक्षा एजेंसियों सहित सत्ता प्रतिष्ठान पर अमेरिका के दबाव में उनकी सरकार को हटाने की साज़िश रचने का आरोप लगाने के साथ चुनाव आयोग की भी कड़ी आलोचना की है.
पाकिस्तान में आम चुनाव की मांग ज़ोर पकड़ रही है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी, सैन्य भागीदारी, आर्थिक अराजकता, बढ़ती महंगाई और देश में गैस और बिजली की भारी कमी के बीच वहां की सरकार ऐसा कर पाएगी?