पारले प्रोडक्ट्स के वरिष्ठ अधिकारी मयंक शाह ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान पारले-जी बिस्किट की बिक्री में ज़बरदस्त वृद्धि हुई है. नतीजतन बाज़ार में इसकी हिस्सेदारी में 4.5 से पांच फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है.
जब लोग बिस्किट का एक पैकेट खरीदने से पहले भी सोचने लगें, तब एक गहरे आर्थिक संकट की दस्तक सुनना ज़रूरी हो जाता है.
1929 में स्थापित पारले में लगभग एक लाख लोग काम करते हैं. कंपनी के कैटेगरी हेड मयंक शाह ने कहा कि 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से कंपनी के सबसे ज्यादा बिकने वाले 5 रुपये के बिस्किट पर असर पड़ा है.