राष्ट्रपति ने सीबीआई और ईडी प्रमुखों का कार्यकाल विस्तार दो साल से बढ़ाकर पांच साल करने वाले अध्यादेशों को 14 नवंबर को मंज़ूरी दी थी. राष्ट्रपति सचिवालय ने आरटीआई के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में यह जानकारी मुहैया कराने से इनकार कर दिया कि आख़िर ये अध्यादेश किस आधार पर लाए गए थे.
पेगासस प्रोजेक्ट के तहत द वायर सहित 17 अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने जुलाई में बताया था कि विपक्षी नेताओं, सरकार से असहमति जताने वालों और सरकारी अधिकारियों को संभवतः पेगासस के ज़रिये निशाना बनाया गया.
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने एक ट्वीट में बताया कि सितंबर 2020 से लेकर अब तक लोकसभा सचिवालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर पूछे गए सत्रह सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि ऐसे और भी कई सवाल हैं, जिनका जवाब सरकार नहीं दे रही है.
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान कई विपक्षी नेताओं ने शिकायत की है कि केंद्र सरकार या तो संतोषजनक जवाब नहीं दे रही है या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा जैसी वजहों का हवाला देते हुए सवालों को ही हटा दिया जा रहा है.
संसद के मानसून सत्र के आख़िरी दिन 11 अगस्त को सदन के भीतर सचिवालय के कर्मचारियों से दुर्व्यवहार करने के आरोप में राज्यसभा के 12 सांसदों को संसद के शीतकालीन सत्र से निलंबित कर दिया गया था. इन 12 सांसदों में कांग्रेस के छह, तृणमूल कांग्रेस और शिवसेना के दो-दो तथा सीपीआई और सीपीआईएम के एक-एक सदस्य शामिल हैं.
इससे पहले जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से आतंकी हमलों में मरने वाले नागरिकों की संख्या बढ़ने की बात सामने आई थी. केंद्र ने बताया था कि मई 2014 से पांच अगस्त 2019 के बीच हुए आतंकी हमलों में 177 नागरिक मारे गए थे. उसके बाद नवंबर 2021 तक 27 महीनों में 87 नागरिकों की मौत हुई. इनमें से 40 से अधिक की मृत्यु इसी साल हुई है.
संसद ने बीते मंगलवार को केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) विधेयक को मंज़ूरी दे दी. इसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक के कार्यकाल को वर्तमान दो वर्ष से बढ़ाकर पांच वर्ष तक किए जाने का प्रस्ताव है. चर्चा के दौरान कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के सदस्य निलंबित 12 सदस्यों का निलंबन वापस लिए जाने की मांग करते हुए सदन से बहिर्गमन किया था.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस और राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई ने सदन में उनकी कम उपस्थिति को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में हाल ही में कहा था कि वह नामित सदस्य हैं, इसलिए वह किसी पार्टी ह्विप से बंधे हुए नहीं हैं. जब उन्हें लगेगा कि विषय महत्वपूर्ण है और उस पर बोला जाना चाहिए, तब वह राज्यसभा की कार्यवाही में भाग लेना पसंद करेंगे.
संसद में सरकार से पूछा गया था कि क्या जम्मू कश्मीर में ऐसा कोई आदेश जारी किया गया है, जिसके तहत पत्रकारों को, उनके काम के कारण शांति और व्यवस्था को ख़तरा होने की स्थिति में, रिपोर्टिंग करने से रोका जा सके.
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा संसद में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों अनुसार, मई 2014 और अगस्त 2019 के बीच आतंकी हमलों में जम्मू कश्मीर में 177 नागरिकों की मौत हुई थी लेकिन उसके बाद नवंबर 2021 तक 87 नागरिक मारे गए. इनमें से 40 से अधिक की इसी साल मौत हुई है.
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना व प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी भी दी कि सरकार को इस बात की जानकारी नहीं है कि अमेरिका ने एनएसओ ग्रुप को काली सूची में डाला है या नहीं. इज़रायल की एनएसओ ग्रुप कंपनी के पेगासस स्पायवेयर के ज़रिये नेता, पत्रकार, कार्यकर्ता, सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों के फोन कथित तौर पर हैक कर उनकी निगरानी की गई या फिर वे संभावित निशाने पर थे.
लोकसभा में पेश सीबीआई-ईडी के निदेशकों के कार्यकाल को अधिकतम पांच साल तक करने वाले विधेयकों को कांग्रेस नेता शशि थरूर ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की घोर अवहेलना बताया, वहीं टीएमसी के सौगत राय ने कहा कि दोनों एजेंसी सरकार के दो हाथ हैं जिनका दुरुपयोग विपक्ष को परेशान करने के लिए किया जाएगा.
पत्रकारों ने मांग की कि संसद परिसर और प्रेस गैलरी में मीडियाकर्मियों के प्रवेश पर लगा ई गई सभी रोक को तत्काल हटाया जाना चाहिए और उन्हें पेशेवर कर्तव्यों को पूरा करने की अनुमति दी जानी चाहिए. विपक्ष ने भी इन मांगों का समर्थन किया है. पिछले वर्ष कोविड-19 फैलने के बाद से संसद सत्र के दौरान सीमित संख्या में मीडियाकर्मियों को संसद परिसर में प्रवेश की अनुमति दी जा रही है.
ट्रैक्टर मार्च को स्थगित करने का निर्णय संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले आया है. इस सत्र के दौरान तीन कृषि क़ानून निरस्त करने के लिए विधेयक पेश किया जाना है. इसके साथ ही किसान संगठनों ने केंद्र से उनकी लंबित मांगों के समाधान के लिए फिर से बातचीत शुरू करने का भी आह्वान भी किया है.
वीडियो: द वायर ने कृषि क़ानूनों को वापस लेने के बाद मुख्यधारा के मीडिया के यू-टर्न पर दिल्ली की टिकरी सीमा पर आंदोलन कर रहे किसानों से बात की. किसानों का कहना है कि जिस मीडिया ने उन्हें आतंकवादी, खालिस्तानी, देशद्रोही कहा, उन्हें उनका सामना करना पड़ेगा.