बाल विवाह निषेध क़ानून सभी के लिए लागू है, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने एक नाबालिग मुस्लिम लड़की की बाल विवाह के ख़िलाफ़ दर्ज मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति पहले भारत का नागरिक है, उसके बाद ही उसका धर्म आता है. इसलिए बाल विवाह निषेध क़ानून सभी धर्मों पर लागू होता है.

बीते तीन सालों में अल्पसंख्यकों द्वारा दर्ज शिकायतों में वृद्धि, यूपी-दिल्ली शीर्ष पर: केंद्र

अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत आंकड़े बताते हैं कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को प्राप्त शिकायतों की संख्या में पिछले दो वित्त वर्षों के दौरान भारी वृद्धि हुई है. अधिकांश शिकायतें मुसलमानों द्वारा दर्ज कराई गई हैं. उत्तर प्रदेश और दिल्ली में मुस्लिम समुदाय से लगातार छठी बार सबसे ज़्यादा शिकायतें मिली हैं.

सीएए के नाम पर केंद्र सरकार लोगों को भ्रमित कर रही है: ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक कार्यक्रम में कहा कि संशोधित नागरिकता क़ानून के नाम पर वे (केंद्र) लोगों को भ्रमित कर रहे हैं. हम लंबे समय से मतुआ समुदाय का ध्यान रख रहे हैं, लेकिन जब चुनाव नज़दीक आता है, तब भाजपा सीएए का उल्लेख कर उनका मित्र होने का दावा करती है.

केंद्र तीन देशों के ग़ैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों के लिए नागरिकता पाने की राह आसान बनाएगा: रिपोर्ट

एक सरकारी सूत्र ने बताया है कि गृह मंत्रालय पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश से आए छह अल्पसंख्यक समुदायों - हिंदू, सिख, पारसी, ईसाई, बौद्ध और जैन - के सदस्यों के नागरिकता आवेदन को आगे बढ़ाने के लिए सहायक दस्तावेज़ के रूप में एक्सपायर्ड पासपोर्ट और वीज़ा को स्वीकार करने के लिए नागरिकता पोर्टल में बदलाव करने वाला है.

नौ राज्यों के 31 डीएम पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफ़ग़ानिस्तान के ग़ैर-मुस्लिमों को नागरिकता दे सकेंगे

केंद्रीय गृह मंत्रालय की वर्ष 2021-22 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र ने अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों को नागरिकता देने का अधिकार 2021-22 में और 13 ज़िला कलेक्टरों और दो राज्यों के गृह सचिवों को सौंपा गया है.

गुजरात: दो ज़िलों से पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, अफ़ग़ानी अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने को कहा गया

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 16 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए गुजरात के मेहसाणा और आनंद ज़िलों के कलेक्टरों को पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफ़ग़ानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बुद्ध, जैन, पारसी, ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता प्रमाण पत्र प्रदान करने की अनुमति दी है.

सीएए संबंधी याचिकाओं पर तीन सप्ताह में जवाब दें असम व त्रिपुरा सरकार: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट में सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई में केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार पहले ही हलफ़नामा दे चुकी है, पर असम व त्रिपुरा सरकारों को अलग-अलग जवाब देने की ज़रूरत है. अदालत के समक्ष 50 याचिकाएं इन दो राज्यों से संबंधित हैं.

सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई 31 अक्टूबर तक स्थगित

सुप्रीम कोर्ट ने मामला तीन सदस्यीय पीठ को सौंपने की भी बात कही है. नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल कई याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि यह संविधान के मूल ढांचे के विपरीत है और इसका उद्देश्य मुसलमानों से स्पष्ट रूप से भेदभाव करना है.

नागरिकता संशोधन क़ानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई 12 सितंबर को

नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल कई याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि यह संविधान के मूल ढांचे के विपरीत है और इसका उद्देश्य मुसलमानों से स्पष्ट रूप से भेदभाव करना है, क्योंकि अधिनियम ने केवल हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को लाभ दिया है.