‘दक्षिणपंथी समूह’ की आपत्ति के बाद सामाजिक मुद्दों पर बनी दो फिल्में फिल्म समारोह से हटाई गईं

ओडिशा में कटक के रेनशॉ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित कुछ फिल्मों को लेकर एक कथित दक्षिणपंथी संगठन द्वारा शिकायत दर्ज ​कराई गई थी. सत्यजीत रे की फिल्म पाथेर पांचाली को लेकर भी आपत्ति जताई गई थी. इसके बाद क्वीर और सामाजिक/आध्यात्मिक विषयों से संबंधित दो फिल्मों को हटा दिया गया, जिससे आयोजन देर से शुरू हुआ.

सत्यजीत रे: जिन्होंने परदे पर हीरो नहीं, बल्कि आम आदमी को रचा 

सत्यजीत रे ने देश की वास्तविक तस्वीर और कड़वे सच को बिना किसी लाग-लपेट के ज्यों का त्यों अपनी फिल्मों में दर्शाया. 1943 में बंगाल में पड़े अकाल को उन्होंने ‘पाथेर पांचाली’ दिखाया तो वहीं ‘अशनि संकेत’ में अकाल की राजनीति और ‘घरे बाइरे’ में हिंदुत्ववादी राष्ट्रवाद पर चोट की.