सांप्रदायिकता से जूझते भारत में पॉल आर. ब्रास का लेखन और प्रासंगिक हो चला है

स्मृति शेष: आज़ाद भारत के बदलते हुए राजनीतिक परिदृश्य और लोकतंत्र के विविध पक्षों का गहन विश्लेषण करने वाले राजनीति विज्ञानी पॉल आर. ब्रास का बीते दिनों निधन हो गया. अपने लेखन को उन्होंने केवल सियासी बदलावों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि चुनावी राजनीति में हथकंडे के रूप में दंगों और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के इस्तेमाल के साथ ही मीडिया और पुलिस की भूमिका पर भी रोशनी डाली.