बीते दस सालों में पूरे ही माहौल में बराबरी और न्याय की आवाज़ बहुत पीछे चली गई है. बराबरी की दिशा बनाने वाले आरक्षण को ही संदिग्ध बनाने की हवा बह रही है. ऐसे में उच्च शिक्षा के संस्थानों में जातीय भेदभाव और उत्पीड़न को मिटाए बिना समानता हासिल नहीं हो सकती.
कथित संस्थागत जातिगत भेदभाव के कारण रोहित वेमुला और पायल तड़वी की आत्महत्या को लेकर उनकी माताओं द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर यूजीसी ने इस मामले को देखने के लिए 9 सदस्यीय समिति का गठन किया था. हालांकि समिति के सदस्यों के पास भेदभाव से निपटने का कोई ट्रैक रिकॉर्ड नहीं है, लेकिन वे भाजपा से निकटता रखते हैं.