टेक्नोलॉजी को वापस नहीं लिया जा सकता. लेकिन इसे मुक्त बाज़ार में अनियंत्रित, क़ानूनी उद्योग के रूप में काम करने की इजाज़त देने की ज़रूरत नहीं है. इस पर क़ानून की लगाम होनी चाहिए. तकनीक रह सकती है, लेकिन उद्योग का रहना ज़रूरी नहीं है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि फ्रांस की राष्ट्रीय साइबर सिक्योरिटी एजेंसी ने पुष्टि की है कि इजरायली स्पायवेयर पेगासस के ज़रिये फ्रांस की वेबसाइट मेदियापार के दो पत्रकारों के फोन में घुसपैठ की गई. मेदियापार वही वेबसाइट है, जिसने सबसे पहले फ्रांस में रफाल विमान सौदे की जांच को लेकर खुलासा किया था.
पत्रकारिता संस्थान अपने संसाधनों के चलते सीमित होते है, इसलिए राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर केवल वास्तविक जांच से ही पेगासस के उपयोग की सही स्तर का पता चलेगा.
द वायर सहित एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम ने सिलसिलेवार रिपोर्ट्स में बताया है कि देश के केंद्रीय मंत्रियों, 40 से ज़्यादा पत्रकारों, विपक्षी नेताओं, एक मौजूदा जज, कई कारोबारियों व कार्यकर्ताओं समेत 300 से अधिक भारतीय फोन नंबर उस लीक डेटाबेस में थे, जिनकी पेगासस से हैकिंग हुई या वे संभावित निशाने पर थे.
वीडियो: डीएनए के पूर्व विशेष संवाददाता और स्वतंत्र पत्रकार दीपक गिडवानी का फ़ोन नंबर पेगासस की जासूसी वाली संभावित सूची में शामिल है. इस मुद्दे पर दीपक गिडवानी से द वायर की बातचीत.
वीडियो: पेगासस जासूसी मामले में पंजाबी भाषी अख़बार ‘रोज़ाना पहरेदार’ के एडिटर-इन-चीफ जसपाल सिंह हेरां का नाम भी शामिल है. जसपाल सिंह से इस मामले पर द वायर की बातचीत.
वीडियो: पेगासस जासूसी विवाद को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार ने जांच आयोग गठित किया है. इसकी घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि हमें उम्मीद थी कि केंद्र एक जांच आयोग गठित करेगा, लेकिन वह हाथ पर हाथ रखकर बैठा है, इसलिए हमने ऐसा फैसला किया. पश्चिम बंगाल ऐसा क़दम उठाने वाला पहला राज्य है.
डिजिटल अधिकारों के लिए काम करने वाले एक्सेस नाउ और सौ के क़रीब नागरिक समाज संगठनों व स्वतंत्र विशेषज्ञों का कहना है कि वे एनएसओ ग्रुप के स्पायवेयर द्वारा विश्वभर में बड़े पैमाने पर हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन संबंधी खुलासों से चिंतित हैं और सरकारों को इसे नियंत्रित करने के लिए क़दम उठाने चाहिए.
एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम, जिसमें द वायर भी शामिल है, ने सिलसिलेवार रिपोर्ट्स में बताया है कि देश के केंद्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्षी नेताओं, एक मौजूदा जज, कई कारोबारियों व कार्यकर्ताओं सहित 300 से अधिक भारतीय फोन नंबर उस लीक डेटाबेस में शामिल थे, जिनकी पेगासस से हैकिंग की गई या वे संभावित निशाने पर थे.
पेगासस प्रोजेक्ट: लीक हुई सूची में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले और एयरसेल-मैक्सिस जैसे हाईप्रोफाइल मामले संभालने वाले प्रवर्तन निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारी राजेश्वर सिंह, उनकी पत्नी और उनकी दो बहनों के नंबर भी शामिल हैं.
पेगासस प्रोजेक्ट: लीक हुए दस्तावेज़ दर्शाते हैं कि पेगासस के ज़रिये संभावित निगरानी के दायरे में रिलायंस की दो कंपनियों, अडाणी समूह के अधिकारी, गेल इंडिया के पूर्व प्रमुख, म्युचुअल फंड से जुड़े लोगों और एयरसेल के प्रमोटर सी. शिवशंकरन के नंबर भी शामिल थे.
अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी चार सांसदों ने एक बयान जारी कर कहा कि अब बहुत हो चुका है, एनएसओ ग्रुप के सॉफ्टवेयर के दुरुपयोग के संबंध में हालिया खुलासे इस विश्वास को पुष्ट करते हैं कि इसे नियंत्रण में लाया जाना चाहिए.
पेगासस जासूसी विवाद को लेकर गठित जांच आयोग के दो सदस्य कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस ज्योतिर्मय भट्टाचार्य और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन भीमराव लोकुर हैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि हमें उम्मीद थी कि केंद्र एक जांच आयोग गठित करेगा, लेकिन केंद्र हाथ पर हाथ रखकर बैठा हुआ है, इसलिए हमने एक जांच आयोग गठित करने का फैसला किया. पश्चिम बंगाल ऐसा क़दम उठाने वाला पहला राज्य है.
जब सरकारें यह दिखावा करती हैं कि वे बड़े पैमाने पर हो रही ग़ैर क़ानूनी हैकिंग के बारे में कुछ नहीं जानती हैं, तब वे वास्तव में लोकतंत्र की हैकिंग कर रही होती हैं. इसे रोकने के लिए एक एंटीवायरस की सख़्त ज़रूरत होती है. हमें लगातार बोलते रहना होगा और अपनी आवाज़ सरकारों को सुनानी होगी.
पेगासस प्रोजेक्ट: लीक डेटाबेस की पड़ताल के बाद सामने आया है कि आधिकारिक नीति को चुनौती देने वाले दो कर्नल, रॉ के ख़िलाफ़ केस दायर करने वाले एक रिटायर्ड इंटेलिजेंस अफसर और बीएसएफ के अधिकारियों के नंबर उस सूची में हैं, जिनकी पेगासस स्पायवेयर के ज़रिये संभावित निगरानी की योजना बनाई गई थी.