संविधान दिवस समारोह के समापन कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि अदालतों में मामले लंबित होने का मुद्दा बहुआयामी है. विधायिका अपने द्वारा पारित क़ानूनों के प्रभाव का अध्ययन नहीं करती और इससे कभी-कभी बड़े मुद्दे उपजते हैं. ऐसे में पहले से मुक़दमों का बोझ झेल रहे मजिस्ट्रेट हज़ारों केस के बोझ से दब गए हैं.
सुप्रीम कोर्ट की पूर्व महिला कर्मचारी ने शीर्ष अदालत के 22 जजों को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि पूर्व सीजेआई जस्टिस रंजन गोगोई ने अक्टूबर 2018 में उनका यौन उत्पीड़न किया था.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने एक कार्यक्रम में कहा कि बड़ी संख्या में मामलों के लंबित होने को लेकर न्यायपालिका की आलोचना होती है, लेकिन देरी के लिए केवल न्यायपालिका ही नहीं, बल्कि न्याय प्रदान करने वाली व्यवस्था में कार्यपालिका की भी कुछ ज़िम्मेदारी बनती है.
राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड के अनुसार, निचली अदालतों में 5,135 न्यायिक अधिकारियों की कमी है जबकि उच्च न्यायालयों में 384 न्यायाधीशों की कमी है.
क़ानून राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने सदन में एक सवाल के जवाब में बताया कि देश के जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायिक अधिकारियों के पांच हजार से अधिक पद रिक्त हैं.