पॉक्सो केस के निपटारे में लगते हैं क़रीब डेढ़ साल, यूपी में लंबित मामलों का प्रतिशत सर्वाधिक

यौन अपराधों से बच्चों को संरक्षण क़ानून के दस साल पूरे होने पर विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में पॉक्सो के लंबित मामलों का प्रतिशत सर्वाधिक था, जहां नवंबर 2012 से फरवरी 2021 के बीच दर्ज कुल मामलों में से तीन-चौथाई (77.7%) से अधिक लंबित हैं.

सुप्रीम कोर्ट को बताया गया- महाराष्ट्र में सांसदों-विधायकों के ख़िलाफ़ सर्वाधिक 442 मामले दर्ज

सुप्रीम कोर्ट पिछले महीने सभी उच्च न्यायालयों को सांसदों-विधायकों के ख़िलाफ़ पांच साल से अधिक समय से लंबित आपराधिक मामलों और उनके शीघ्र निपटारे के लिए उठाए गए क़दमों समेत पूरा विवरण उपलब्ध कराने को कहा था. हालांकि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार समेत सात राज्यों ने इस संबंध में जानकारी नहीं दी है.

सभी हाईकोर्ट सांसद-विधायक के ख़िलाफ़ लंबित मामलों का ब्योरा दें: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट वर्ष 2016 में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आपराधिक मामलों में दोषी ठहराए जाने पर राजनेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग के अलावा सांसद-विधायकों के ख़िलाफ़ दर्ज मामलों में तेज़ सुनवाई की मांग की थी.

केस सूचीबद्ध करने की नई प्रणाली पर जजों की नाराज़गी संबंधी मीडिया रिपोर्ट सही नहीं: सीजेआई

नई प्रणाली के तहत शीर्ष अदालत के जज दो अलग-अलग पालियों में काम कर रहे हैं. प्रत्येक सोमवार और शुक्रवार को कुल 30 जज मुक़दमों की सुनवाई करते हैं और दो-दो न्यायाधीशों की पीठ का ही गठन किया जाता है. प्रत्येक पीठ औसतन 60 से अधिक मामलों की सुनवाई करती है, जिनमें नई जनहित याचिकाएं शामिल हैं.

राष्ट्र के ख़िलाफ़ अपराध के लिए पिछले साल 5,100 से ज़्यादा मामले दर्ज किए गए: एनसीआरबी

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2021 में राजद्रोह, शासकीय गोपनीयता अधिनियम और यूएपीए समेत राष्ट्र के ख़िलाफ़ विभिन्न अपराध के आरोप में 5,164 मामले, यानी हर दिन औसतन 14 मामले दर्ज किए गए. पिछले साल देश में राजद्रोह के कुल 76 मामले और यूएपीए के कुल 814 मामले दर्ज किए गए थे. 

सीबीआई की जांच वाले भ्रष्टाचार के क़रीब 6,700 मामले अदालतों में लंबित हैं: सीवीसी

केंद्रीय सतर्कता आयोग की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 31 दिसंबर 2021 तक के आंकड़ों के मुताबिक इन 6,700 मामलों में से 275 मामले 20 वर्ष से अधिक समय से लंबित हैं. कुल 1,939 मामले ऐसे हैं, जो विभिन्न अदालतों में 10-20 साल से चल रहे हैं, जबकि 2,273 मामलों में सुनवाई 5-10 साल से चल रही है. 

आम सहमति वापस लेने के बाद सीबीआई जांच की मांग के सर्वाधिक लंबित मामले महाराष्ट्र में

साल 2015 से नौ राज्यों - महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, केरल, मिज़ोरम और मेघालय - ने सीबीआई से जांच के लिए ज़रूरी आम सहमति वापस ले ली है. विपक्ष शासित इन राज्यों ने आरोप लगाया है कि सीबीआई उसके मालिक (केंद्र) की आवाज़ बन गई है और वह विपक्षी नेताओं को ग़लत तरीके से निशाना बना रही है.

मीडिया ‘कंगारू कोर्ट’ चलाकर लोकतंत्र को कमज़ोर कर रहा है: सीजेआई रमना

देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना ने एक कार्यक्रम में कहा कि न्याय देने से जुड़े मुद्दों पर ग़लत जानकारी और एजेंडा-संचालित बहसें लोकतंत्र के लिए हानिकारक साबित हो रही हैं. प्रिंट मीडिया अब भी कुछ हद तक जवाबदेह है, जबकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की कोई जवाबदेही नहीं है, यह जो दिखाता है वो हवाहवाई है.

न्याय से इनकार करने से अंतत: अराजकता फैलेगी: सीजेआई रमना

श्रीनगर में हुए एक समारोह में सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए यह ज़रूरी है कि लोग महसूस करें कि उनके अधिकारों और सम्मान को मान्यता दी गई है और उन्हें संरक्षित किया गया है. उन्होंने जोड़ा कि हम अपनी अदालतों को समावेशी और सुलभ बनाने में बहुत पीछे हैं. अगर इस पर तत्काल ध्यान नहीं देते हैं, तो न्याय तक पहुंच का संवैधानिक आदर्श विफल हो जाएगा.

देशभर की अदालतों में 4.70 करोड़ मामले लंबित: सरकार

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में बताया कि जहां तक अदालतों में जजों के ख़ाली पड़े पदों का सवाल है तो देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों के उच्च न्यायालयों में सबसे अधिक पद ख़ाली पड़े हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थायी और अतिरिक्त पदों पर सर्वाधिक 67 रिक्तियां हैं.

फास्ट ट्रैक अदालतों में पॉक्सो के 2.26 लाख मामले लंबित, यूपी में सर्वाधिक: केंद्र

लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कानून एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि केंद्र सरकार ने 31 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 1,023 फास्ट ट्रैक विशेष अदालतें गठित करने की योजना शुरू की है, जिनमें 389 विशेष पॉक्सो अदालतें भी शामिल हैं. ऐसा इसलिए किया गया, ताकि पॉक्सो एक्ट के तहत बलात्कार से जुड़े मामलों की सुनवाई और उनका निपटान तेजी से किया जा सके.

इस समय न्यायपालिका विश्वसनीयता के संकट से जूझ रही है: जस्टिस ओका

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में हाल में नियुक्त किए गए जस्टिस अभय एस. ओका  ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि क़ानूनी पेशे के सदस्यों को न्यायपालिका में देश के नागरिकों का भरोसा बहाल करने की दिशा में काम करना चाहिए. देश में इस समय न्यायाधीशों और जनसंख्या का अनुपात प्रति 10 लाख लोगों के लिए 17 या 18 न्यायाधीश हैं. न्यायाधीशों की कमी की समस्या से निपटा जाना चाहिए और इस अनुपात में सुधार किया जाना चाहिए.

एनएचआरसी को हर दिन मिलती हैं औसतन 228 शिकायतें, 20 हज़ार से अधिक मामले विचाराधीन

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, विचाराधीन 20,806 नए और पुराने मामलों में से 344 मामले पुलिस हिरासत में मौत के, 3,407 मामले न्यायिक हिरासत में मौत के, 365 मामले पुलिस मुठभेड़ में मौत के हैं. वित्त वर्ष 2021-22 में अब तक उसे 53,191 शिकायतें मिली हैं. सितंबर में 10,627 नई शिकायतें मिलीं.

नेताओं के ख़िलाफ़ सीबीआई मामलों की धीमी जांच व सुनवाई से चिंतित: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट जघन्य अपराधों में दोषी पाए गए जनप्रतिनिधियों पर आजीवन प्रतिबंध लगाने और उनके मुक़दमों का शीघ्र निपटारा करने के अनुरोध संबंधी जनहित याचिका सुन रहा है. अदालत ने एजेंसी द्वारा त्वरित जांच और सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए कई निर्देश जारी किए जिनमें उच्च न्यायालयों द्वारा अतिरिक्त विशेष अदालतों की स्थापना शामिल है.

‘दुर्भावनापूर्ण मामले वापस लेने के ख़िलाफ़ नहीं, पर सरकारों को हाईकोर्ट से मंज़ूरी लेनी चाहिए’

सुप्रीम कोर्ट जघन्य अपराधों में दोषी पाए गए जनप्रतिनिधियों पर आजीवन प्रतिबंध लगाने और उनके मुक़दमों का शीघ्र निपटारा करने के अनुरोध संबंधी जनहित याचिका सुन रहा है. कोर्ट ने जांच और सुनवाई में अत्यधिक देरी पर भी चिंता जताई और केंद्र से कहा कि वह ज़रूरी मानव संसाधन और इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराए.