सुप्रीम कोर्ट जम्मू कश्मीर में नाबालिगों को हिरासत में लेने, संचार माध्यमों पाबंदी लगाने जैसे कई मामलों पर दायर याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है.
जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि राष्ट्रहित में लिए गए प्रशासनिक फैसलों की अपील पर कोई नहीं बैठ सकता. केवल न्यायालय ही इसे देख सकती है और याचिकाकर्ता इसे नहीं देख सकते.
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश से राज्य के दौरे पर गए हैं. उन्होंने कहा कि घाटी में ठहरने के दौरान जिन जगहों पर जाना चाहता था, उसके 10 प्रतिशत स्थानों पर भी प्रशासन ने मुझे जाने नहीं दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ग़ुलाम नबी आज़ाद को राज्य में जाने की अनुमति देते हुए कहा कि वहां कोई राजनीतिक रैली न करें.
जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद पहली बार कुछ चुनिंदा पत्रकारों से बात करते हुए एनएसए अजीत डोभाल ने कहा कि लोग इंटरनेट के साथ पैदा नहीं हुए थे. हमारे लिए लोगों के जीवन के अधिकार की रक्षा करना और उन्हें सुरक्षित रखना अधिक महत्वपूर्ण है.
अनुच्छेद 370 हटने के बाद श्रीनगर के सौरा में हुए एक विरोध प्रदर्शन में शामिल हुआ यह युवक पैलेट लगने से घायल हो गया था. हालांकि सेना का कहना है कि युवक की मौत पैलेट से लगी चोट से नहीं बल्कि पथराव से हुई है.
राज्य से अनुच्छेद 370 हटाने और दो केंद्र शासित प्रदेशों में बंटने के बाद के बाद से राज्य में बंद है. एक अधिकारी ने बताया कि पैलेट से घायल 36 लोगों में से 8 बंद के पहले हफ्ते में घायल हुए थे. इस दौरान पत्थरबाजी की 200 घटनाएं हुईं.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि वह कई मुद्दों पर नरेंद्र मोदी सरकार से असहमत हैं, लेकिन यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि जम्मू कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और पाकिस्तान या कोई दूसरा देश इसमें दखल नहीं दे सकता.
कश्मीर घाटी में 22वें दिन भी दुकानें और अन्य कारोबारी प्रतिष्ठान बंद रहे. श्रीनगर के लाल चौक और प्रेस एन्क्लेव क्षेत्र में अब भी लैंडलाइन टेलीफोन सेवाएं बंद हैं. मोबाइल सेवाएं और बीएसएनएल ब्रॉडबैंड तथा इंटरनेट संबंधी अन्य सेवाएं पांच अगस्त से ही बंद हैं.
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि जम्मू कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत दिए गए विशेष दर्जे को खत्म करने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद राज्य में हिंसा में किसी शख्स की जान नहीं गई है.
नई दिल्ली के जंतर मंतर पर गुरुवार को डीएमके के नेतृत्व में कांग्रेस, टीएमसी, राजद, सीपीआई और सीपीएम सहित कई अन्य पार्टियों ने एक साथ आकर जम्मू कश्मीर में हालात को सामान्य करने, घाटी में संचार सेवाओं को दुरुस्त करने और हिरासत में लिए गए सभी राजनीतिक नेताओं की रिहाई की मांग की.
संचार के सारे साधनों को काटकर, उन्हें काबू में रखने के लिए सुरक्षा बलों के इस्तेमाल का मक़सद कश्मीरियों को यह याद दिलाना है कि उनका अपना कोई वजूद नहीं है- उनका अस्तित्व सत्ता के हाथ में है, वो सत्ता जिसका प्रतिनिधित्व वहां हर जगह मौजूद सेना कर रही है.
अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार, एक मजिस्ट्रेट ने बताया कि जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटने के बाद से कम से कम 4000 लोगों को गिरफ्तार कर पीएसए के तहत हिरासत में रखा गया है.
जम्मू कश्मीर में 4 अगस्त से संचार सेवाओं को पूरी तरह से बंद किया गया है. इसके 12 दिन बाद शनिवार को जम्मू, सांबा, कठुआ, उधमपुर और रियासी जिलों में कम गति की 2जी मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बहाल की गई थीं.
अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार, यह संघर्ष श्रीनगर के सौरा इलाके में प्रदर्शनकारियों द्वारा निकाली गई रैली के दौरान हुआ. वहीं, 12 दिन बाद कश्मीर घाटी के 17 टेलीफोन एक्सचेंज में लैंडलाइन सेवाएं और जम्मू के पांच जिलों में 2जी मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बहाल कर दी गईं.