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पीएम केयर्स फंड के रिकॉर्ड्स के अनुसार, वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान फंड में 0.40 करोड़ रुपये विदेशी चंदा आया, इसके बाद 2020-21 में यह राशि 494.92 करोड़ रुपये हुई और 2021-22 में 40.12 करोड़ रुपये रही.
कांग्रेस ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि पीएम केयर्स फंड में 60 प्रतिशत धन सरकार स्वामित्व वाले उपक्रमों से आने के बावजूद इसमें कोई पारदर्शिता और जवाबदेही क्यों नहीं है. यह किसी ऑडिट या आरटीआई के दायरे में क्यों नहीं आता. पार्टी ने कहा कि अगर वह सत्ता में आती है, तो पीएम केयर्स फंड का कैग ऑडिट कराएगी.
एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार द्वारा संचालित सूचीबद्ध कंपनियों ने 2019-20 और 2021-22 के बीच पीएम केयर्स फंड में कम से कम 2,913.6 करोड़ रुपये का योगदान दिया है. शीर्ष पांच दानदाताओं में ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन, एनटीपीसी, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन शामिल हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट ‘पीएम केयर्स फंड’ को संविधान के अनुच्छेद-12 के तहत ‘सरकारी फंड’ घोषित करने की मांग संबंधी याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसे लेकर केंद्र सरकार से जवाब तलब किया गया था. जुलाई 2022 में केंद्र की ओर से इस बारे में एक पेज का जवाब दाख़िल किया गया था, जिस पर नाराज़ होते हुए अदालत ने विस्तृत जवाब मांगा था.
उद्योगपति रतन टाटा के अलावा पीएम केयर्स फंड के न्यासी मंडल में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश केटी थॉमस और लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष करिया मुंडा को शामिल किया गया है. इनके अलावा पूर्व नियंत्रक व महालेखा परीक्षक राजीव महर्षि, इंफोसिस फाउंडेशन की पूर्व अध्यक्ष सुधा मूर्ति और पीरामल फाउंडेशन के पूर्व कार्यकारी अधिकारी आनंद शाह को इसके सलाहकार बोर्ड में मनोनीत करने का फैसला लिया गया है.
दिल्ली हाईकोर्ट 'पीएम केयर्स फंड' को संविधान के अनुच्छेद-12 के तहत 'सरकारी फंड' घोषित करने की मांग संबंधी याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसके लेकर केंद्र सरकार से जवाब तलब किया गया था लेकिन केंद्र की ओर से केवल एक पेज का जवाब दाखिल किया गया. जिस पर भड़कते हुए अदालत ने कहा कि यह कोई मामूली मुद्दा नहीं है, हमें विस्तृत जवाब चाहिए.
मुख्य सूचना आयुक्त यशोवर्धन कुमार सिन्हा ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के उपसचिव और सीपीआईओ प्रवीण कुमार यादव को चेतावनी देते हुए उन्हें भविष्य में आरटीआई एक्ट के प्रावधानों का सख़्ती से पालन सुनिश्चित करने को कहा.
सुप्रीम कोर्ट ने पीएम-केयर्स फंड के बारे में जानकारी सार्वजनिक करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने और भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक से इसका ऑडिट कराने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया. इलाहाबाद हाईकोर्ट के 31 अगस्त, 2020 के फैसले को चुनौती दी गई थी. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि जनता के पैसे की अकल्पनीय और अथाह राशि कोष के ख़जाने में हर रोज़ बेरोकटोक डाली जाती है.
इस साल स्वास्थ्य बजट आवंटन में बीते वर्ष की तुलना में सात फीसदी की कटौती की गई है. स्वास्थ्य क्षेत्र में काम कर रहे क़रीब सौ छोटे-बड़े सिविल सोसाइटी समूहों के नेटवर्क जन स्वास्थ्य अभियान ने संसद से अपील की है कि वह इस कटौती को ख़ारिज कर आवंटन में बढ़ोतरी करे.
मई 2020 में पीएमओ की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कोविड-19 वैक्सीन के डिजाइनर्स और डेवलपर्स की मदद के लिए पीएम केयर्स फंड से सौ करोड़ रुपये देने की बात कही गई थी. अब एक आरटीआई आवेदन के जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय बताया कि वैक्सीन उत्पादन के लिए पीएम केयर्स फंड से कोई धनराशि प्राप्त नहीं हुई.
श्रीनगर स्थित श्री महाराजा हरि सिंह हॉस्पिटल को पीएम केयर्स फंड से तीन कंपनियों ने 165 वेंटिलेटर्स दिए थे, जिसमें से कोई भी काम नहीं कर रहा है. इन तीन में से दो कंपनियों पर वेंटिलेटर की गुणवत्ता को लेकर पहले भी सवाल उठ चुके हैं. बताया गया है कि इस केंद्रशासित प्रदेश की ओर से इन वेंटिलेटर्स की मांग नहीं की गई थी.
दिल्ली हाईकोर्ट में एक बार फिर इस बात को लेकर दलील दी गई कि पीएम केयर्स फंड ट्रस्ट में उच्च स्तर के पदाधिकारियों का शामिल होना, राजकीय चिह्न का उपयोग, आधिकारिक डोमेन नेम का इस्तेमाल आदि तथ्य इस बात की ओर इशारा करते हैं कि पीएम केयर्स फंड भारत सरकार की ही संस्था है.
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से यह जवाब अदालत में दायर उन याचिकाओं को लेकर आया है, जिसमें पीएम केयर्स फंड को सरकारी घोषित करने की मांग की गई है.
एक आरटीआई आवेदन में पूछा गया था कि केवल सरकारी विभागों को मिल सकने वाला जीओवी डॉट इन डोमेन पीएम केयर्स को कैसे आवंटित हुआ. केंद्रीय सूचना आयोग में हुई सुनवाई में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा इस बात का ख़ुलासा करने से रोका गया था.