श्रीनगर स्थित श्री महाराजा हरि सिंह हॉस्पिटल को पीएम केयर्स फंड से तीन कंपनियों ने 165 वेंटिलेटर्स दिए थे, जिसमें से कोई भी काम नहीं कर रहा है. इन तीन में से दो कंपनियों पर वेंटिलेटर की गुणवत्ता को लेकर पहले भी सवाल उठ चुके हैं. बताया गया है कि इस केंद्रशासित प्रदेश की ओर से इन वेंटिलेटर्स की मांग नहीं की गई थी.
दिल्ली हाईकोर्ट में एक बार फिर इस बात को लेकर दलील दी गई कि पीएम केयर्स फंड ट्रस्ट में उच्च स्तर के पदाधिकारियों का शामिल होना, राजकीय चिह्न का उपयोग, आधिकारिक डोमेन नेम का इस्तेमाल आदि तथ्य इस बात की ओर इशारा करते हैं कि पीएम केयर्स फंड भारत सरकार की ही संस्था है.
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से यह जवाब अदालत में दायर उन याचिकाओं को लेकर आया है, जिसमें पीएम केयर्स फंड को सरकारी घोषित करने की मांग की गई है.
एक आरटीआई आवेदन में पूछा गया था कि केवल सरकारी विभागों को मिल सकने वाला जीओवी डॉट इन डोमेन पीएम केयर्स को कैसे आवंटित हुआ. केंद्रीय सूचना आयोग में हुई सुनवाई में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा इस बात का ख़ुलासा करने से रोका गया था.
केंद्र सरकार ने क़रीब एक साल पहले कहा था कि भारत में निर्मित 50,000 वेंटिलेटर के लिए पीएम केयर्स फंड से 2,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. हालांकि वेंटिलेटर्स ख़रीदने एवं इसके वितरण के संबंध में सिर्फ़ 1,532 करोड़ रुपये ही जारी किए गए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि निजी निर्माताओं द्वारा बनाए 16,000 वेंटिलेटर कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बाद भी अभी तक अस्पतालों में नहीं लगाए गए हैं.
वीडियो: भारत वैश्विक महामारी का नया केंद्र बना हुआ है. मई महीने के अधिकांश दिनों में संक्रमण के क़रीब चार लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए. कई कोविड-19 मरीज़ों की अस्पतालों में इसलिए मौत हो गई, क्योंकि डॉक्टरों के पास ऑक्सीजन और अन्य जीवनरक्षक दवाएं नहीं थीं. तमाम लोग इस त्रासदी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं.
बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ कोविड-19 महामारी से संबंधित उन याचिकाओं को सुन रही थी, जिसमें बताया गया था कि कई अस्पतालों को पीएम केयर्स फंड के तहत केंद्र से मिले 150 वेंटिलेटर में से 113 ख़राब थे. अदालत ने कहा है कि इन्हें बदलकर नए सही वेंटिलेटर स्थापित करना केंद्र की ज़िम्मेदारी है.
महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में पीएम केयर्स फंड के तहत आपूर्ति किए गए 150 वेंटिलेटर्स में 113 के ख़राब होने पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था. अदालत ने कहा कि सरकार को एहसास होना चाहिए कि उन्होंने ख़राब गुणवत्ता वाले वेंटिलेटर की आपूर्ति की है. उन्हें अच्छी गुणवत्ता वाले वेंटिलेटर से बदलें.
दोनों निजी अस्पतालों ने मोहाली के उपायुक्त को पत्र लिखकर कहा कि उन्हें पिछले साल पीएम केयर्स फंड के तहत कुल 20 वेंटिलेटर मिले, लेकिन वे काम नहीं करते हैं. उन्होंने अधिकारियों से वेंटिलेटर की मरम्मत करने का आग्रह किया है. उपायुक्त ने कहा कि राज्य सरकार को इसकी जानकारी दी गई है.
सेनाओं की ओर से पीएम केयर्स फंड में दी गई राशि में सर्वाधिक भारतीय सेना की ओर से 157.71 करोड़ रुपये दिया गया है, वहीं वायुसेना ने 29.18 करोड़ रुपये और नौसेना ने 16.77 करोड़ रुपये का अनुदान दिया है.
हाल ही में सार्वजनिक किए गए पीएम केयर्स ट्रस्ट के दस्तावेज़ में जहां एक तरफ इसे ‘कॉरपोरेट चंदा प्राप्त करने के लिए सरकारी ट्रस्ट के रूप में परिभाषित’ किया गया हैं, वहीं एक क्लॉज में इसे प्राइवेट ट्रस्ट बताया गया है.
यह राशि सार्वजनिक क्षेत्र की 101 कंपनियों द्वारा कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी फंड्स के तहत दान किए गए 2,400 करोड़ रुपये के अतिरिक्त थी. कर्मचारियों के वेतन से ओएनजीसी ने सबसे अधिक 29.06 करोड़ रुपये दिए, वहीं बीएसएनएल ने भी कर्मचारियों के वेतन से 11.43 करोड़ रुपये इस फंड में दिए.
यह आंकड़ा केंद्र सरकार के 50 विभागों का है. 157.23 करोड़ रुपये के इस अनुदान में से 93 प्रतिशत से अधिक की धनराशि यानी क़रीब 146 करोड़ रुपये अकेले रेलवे के कर्मचारियों के वेतन से दान किए गए हैं.
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार, आरबीआई सहित 15 सरकारी बैंकों और संस्थाओं ने आरटीआई के माध्यम से बताया है कि उन्होंने कुल मिलाकर 349.25 करोड़ रुपये पीएम केयर्स फंड में दान किए. एलआईसी ने विभिन्न श्रेणियों के तहत अकेले सबसे अधिक 113.63 करोड़ रुपये दान में दिए हैं.
लोकसभा में विपक्षी सांसदों द्वारा पीएम केयर्स फंड पर लगातार सवाल उठाने पर भाजपा के नेता कांग्रेस पर हमलावर होते रहे, साथ ही कहा कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष गांधी परिवार की निजी संपत्ति की तरह काम करता है. हालांकि पीएम केयर्स फंड की जवाबदेही को लेकर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.