मणिपुर में पिछले साल 3 मई को जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से पुलिस शस्त्रागारों से बार-बार हथियारों की लूट देखी गई थी, जिनके सरेंडर के लिए बार-बार अपील किए जाने और बरामदगी के लिए अभियान चलाए जाने के बावजूद भी कई हथियार अभी भी ग़ैरक़ानूनी तत्वों के हाथों में है.