सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय को तीन महीने के भीतर ‘पुलिसकर्मियों द्वारा मीडिया ब्रीफिंग पर एक व्यापक मैनुअल’ तैयार करने का निर्देश दिया. अदालत ने कहा कि मीडिया रिपोर्टिंग जो किसी आरोपी को फंसाती है, वह अनुचित है. पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग से जनता में यह संदेह भी पैदा होता है कि उस व्यक्ति ने अपराध किया है. रिपोर्टिंग पीड़ितों की निजता का भी उल्लंघन कर सकती हैं.