सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी 2024 को मोदी सरकार की बेनामी राजनीतिक फंडिंग वाली चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था. अब इस फैसले की समीक्षा की मांग वाली याचिकाओं को ख़ारिज करते हुए अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड को देखते हुए निर्णय में कोई त्रुटि नहीं दिखती.
केंद्र सरकार ने लोकसभा में चुनावी बॉन्ड पर सवालों का जवाब देते हुए कहा कि राजनीतिक दलों के फंडिंग के लिए चुनावी बॉन्ड के बारे में कोई क़ानून लाने की उसकी कोई योजना नहीं है. इस साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक क़रार देते हुए रद्द कर दिया था.
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चुनावी बॉन्ड के ज़रिये राजनीतिक दलों को चंदा देने वालों की लिस्ट में कई फार्मा कंपनियों के नाम भी शामिल थे. इनमें से कई कंपनियों की दवाइयां ड्रग टेस्ट में कइयों बार फेल हुई थीं.
राजनीतिक दलों को 10 सालों में मिले कुल 7,726 करोड़ रुपये के चंदे में से भाजपा को लगभग 5,000 करोड़ रुपये या 64.7% मिले, उसके बाद कांग्रेस (10.7%), भारत राष्ट्र समिति (3.3%) और आम आदमी पार्टी (3.1%) का नंबर आता है.
चुनावी बॉन्ड के ज़रिये राजनीतिक दलों को चंदा देने वालों में सड़क, खनन और इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी बड़ी कंपनियों का शामिल होना दिखाता है कि भले चंदे की राशि राजनीतिक दलों को मिल रही है, लेकिन इनकी क़ीमत आम आदिवासी और मेहनतकश वर्ग को चुकानी पड़ रही है, जिसके संसाधनों को राजनीतिक वर्ग ने चंदे के बदले इन कंपनियों के हाथों में कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताने वाले अपने फैसले में और भी कई महत्वपूर्ण टिप्पणी कीं, जिनमें से एक में कहा गया कि राजनीतिक फंडिंग के बारे में जानकारी एक मतदाता को यह आकलन करने में सक्षम बनाएगी कि क्या नीति निर्धारण और वित्तीय योगदान के बीच कोई संबंध है.
2022-2023 में भारतीय स्टेट बैंक द्वारा कुल 2,800.36 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बेचे गए. भाजपा की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट बताती है कि पार्टी को उस वर्ष बेचे गए चुनावी बॉन्ड्स की कुल राशि का 46% प्राप्त हुआ.
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केंद्र सरकार ने बीते 29 सितंबर को चुनावी बॉन्ड की 28वीं किश्त की जारी करने को मंज़ूरी दे दी, जो 4 अक्टूबर से 10 दिनों के लिए बिक्री के लिए उपलब्ध रहेगी. यह फैसला राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिज़ोरम में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आया है. इन राज्यों में जल्द ही चुनाव की घोषणा होने की संभावना है.
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एडीआर के अनुसार, 2016-17 और 2021-22 के बीच भाजपा को अन्य सभी राष्ट्रीय दलों की तुलना में तीन गुना अधिक चंदा मिला, जिसमें से 52%से अधिक चुनावी बॉन्ड से आया.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को अज्ञात स्रोतों से कुल 887.55 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जिसमें से 93.26 फीसदी या 827.76 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड के माध्यम से प्राप्त हुए.
शीर्ष अदालत एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी तथा कुछ अन्य याचिकाकर्ताओं द्वारा चुनावी बॉन्ड के ज़रिये राजनीतिक दलों को चंदा मिलने के प्रावधान वाले क़ानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.
आयकर विभाग द्वारा कुछ पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों और उनके कथित संदिग्ध वित्तीय लेन-देन को लेकर कई राज्यों में छापेमारी की गई है. सूत्रों ने बताया है कि थिंक टैंक में हुई कार्रवाई का संबंध भी इसी मामले से है. सीपीआर ने अब तक इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.