द वायर एक्सक्लूसिव: भाजपा ने ‘टेरर फंडिंग’ मामले में जांच का सामना कर रही कंपनी से बड़ा चंदा लिया

चुनाव आयोग को मिली जानकारी के अनुसार आरकेडब्ल्यू डेवलपर्स लिमिटेड नाम की कंपनी ने चंदे के रूप में भाजपा को बड़ी धनराशि दी है. 1993 मुंबई बम धमाकों के आरोपी इकबाल मेमन उर्फ इकबाल मिर्ची से संपत्ति खरीदने और लेनदेन के मामले में ईडी इस कंपनी की जांच कर रही है.

आरटीआई के तहत खुलासा, 91 फीसदी से ज्यादा चुनावी बॉन्ड एक करोड़ रुपये के खरीदे गए

इसके अलावा एक मार्च 2018 से 24 जुलाई 2019 के बीच खरीदे गए कुल चुनावी बॉन्ड में से 99.7 फीसदी बॉन्ड 10 लाख और एक करोड़ रुपये के थे. करीब 80 फीसदी चुनावी बॉन्ड नई दिल्ली में भुनाए गए हैं.

चुनावी बॉन्ड: कानून मंत्रालय, मुख्य चुनाव आयुक्त ने 1% वोट शेयर की शर्त पर आपत्ति जताई थी

हालांकि वित्त मंत्रालय ने इन आपत्तियों को दरकिनार किया और ये प्रावधान रखा कि वो रजिस्टर्ड राजनीतिक दल ही चुनावी बॉन्ड के जरिए चंदा ले सकने योग्य होंगे जिन्होंने पिछले लोकसभा या राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान एक फीसदी वोट प्राप्त किया हो.

मीडिया बोल: जेएनयू का सच और इलेक्टोरल बॉन्ड का सरकारी फ्रॉड!

वीडियो: मीडिया बोल के इस अंक में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में फीस बढ़ोतरी के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन एवं आरबीआई द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड के विरोध से जुड़ी खबर पर सीपीआई(एमएल) की पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन, लेखक सोहेल हाशमी और वरिष्ठ पत्रकार नितिन सेठी से वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश की बातचीत.

मोदी सरकार ने चुनावी बॉन्ड पर आरबीआई की सभी आपत्तियों को ख़ारिज कर दिया था: रिपोर्ट

आरबीआई ने कहा था कि चुनावी बॉन्ड और आरबीआई अधिनियम में संशोधन करने से एक गलत परंपरा शुरू हो जाएगी. इससे मनी लॉन्ड्रिंग को प्रोत्साहन मिलेगा और केंद्रीय बैंकिंग क़ानून के मूलभूत सिद्धांतों पर ही खतरा उत्पन्न हो जाएगा.

2018-19 में भाजपा को चंदे में मिले 700 करोड़, आधा टाटा की चुनावी ट्रस्ट ने दिया

भाजपा को साल 2018-19 में 700 करोड़ रुपये से अधिक चंदा मिला और इसका सबसे बड़ा हिस्सा 356 करोड़ रुपये टाटा समूह द्वारा नियंत्रित एक चुनावी ट्रस्ट से आया है.

20 महीने में बेचे गए 6128 करोड़ के चुनावी बॉन्ड, आधे से अधिक आम चुनाव से दो महीने पहले बिके

चुनावी और राजनीतिक सुधार के क्षेत्र में काम करने वाली गैर सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के विश्लेषण के अनुसार मार्च 2018 से अक्टूबर 2019 के बीच स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने कम से कम 12,313 चुनावी बॉन्ड बेचे.

सीआईसी ने वित्त मंत्रालय से कहा, राजनीतिक दलों को चंदा देने वालों के बारे में जानकारी दें

वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग में आरटीआई दाखिल कर राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने के दौरान पहचान की गोपनीयता बनाए रखने के संबंध में दानकर्ताओं द्वारा लिखे गए पत्र और इलेक्टोरल बॉन्ड योजना के ड्राफ्ट की प्रति के बारे में जानकारी मांगी गई थी.

एक साल में भाजपा की संपत्ति में 22 फीसदी की बढ़त, कांग्रेस की 15 फीसदी घटी: रिपोर्ट

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि भाजपा की कुल संपत्ति, जो वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान 1213.13 करोड़ रुपये थी, वो 2017-18 वित्त वर्ष में बढ़कर 1483.35 करोड़ रुपये हो गई.

आरटीआई से खुलासा, दिल्ली में भुनाए गए करीब 80 फीसदी चुनावी बॉन्ड

मार्च 2018 से मई 2019 के बीच कुल 5,851.41 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे गए और इसमें से 4,715.58 करोड़ रुपये के बॉन्ड नई दिल्ली में भुनाए गए.

दो सालों में राजनीतिक दलों को मिला 985 करोड़ रुपये चंदा, 915 करोड़ अकेले भाजपा को: रिपोर्ट

एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि बीते दो वित्त वर्षों में राजनीतिक दलों को कॉरपोरेट से मिलने वाले चंदे में 160 फीसदी का वृद्धि हुई है. साथ ही चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों द्वारा दानकर्ताओं के पैन कार्ड समेत कई अनिवार्य जानकारियां नहीं दी गईं.

2019 लोकसभा चुनाव में ख़र्च हुए क़रीब साठ हज़ार करोड़, 45 फीसदी भाजपा ने ख़र्च किए

चुनावी ख़र्च पर आई सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज़ की रिपोर्ट के अनुसार, बीते 20 सालों में 1998 से 2019 तक हुए लोकसभा चुनावों में हुआ व्यय छह गुना बढ़ा. इस साल के आम चुनाव में औसतन प्रत्येक लोकसभा सीट पर लगभग 100 करोड़ रुपये ख़र्च किए गए.

सरकारी ख़र्चे से कराए जाएं चुनाव, कॉरपोरेट चंदे पर लगे पाबंदी: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त

मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में 2004 में आम चुनाव कराने वाले टीएस कृष्णमूर्ति ने कहा कि कॉरपोरेट चंदे के माध्यम से धन जुटाने का अपारदर्शी तरीका चिंता पैदा करने वाला है.

चुनावी बॉन्ड: भाजपा, कांग्रेस समेत अन्य दलों ने चुनाव आयोग को नहीं दिया चंदे का ब्योरा

चुनावी बॉन्ड की बिक्री पर रोक की याचिका की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने राजनीतिक दलों से चुनावी बॉन्ड से मिले चंदे और इसके दाताओं की सूची 30 मई तक सीलबंद लिफाफे में चुनाव आयोग को सौंपने को कहा था.