बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच द्वारा माओवादियों से संबंध रखने संबंधी मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा और अन्य को 14 अक्टूबर को बरी कर दिया गया था, लेकिन अगले ही दिन केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी.
दिसंबर 2007 में उत्तराखंड पुलिस ने 'नक्सलवाद पर कड़ी चोट' का दावा करते हुए कार्यकर्ता प्रशांत राही को माओवादी बताते हुए गिरफ़्तार किया था. चौदह साल बाद इस दावे को साबित न कर पाने पर अदालत ने राही और तीन अन्य को बरी कर दिया.