भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली को बदलने के लिए लाए गए तीन विधेयक मूल रूप से पुराने क़ानूनों के प्रावधानों की ही प्रति है पर इन नए क़ानूनों में कुछ विशेष बदलाव है जो इन्हें ब्रिटिश क़ानूनों से भी ज़्यादा ख़तरनाक बनाते हैं.
1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले भारतीय साक्ष्य (बीएस) विधेयक में कहा गया है कि मंत्रियों और भारत के राष्ट्रपति के बीच किसी भी विशेषाधिकार संचार को किसी भी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी. हालांकि यह संविधान के अनुच्छेद 74 (2) में भी कहा गया है, लेकिन केंद्र इसे साक्ष्य पुस्तिका का हिस्सा बनाकर क़ानूनी समर्थन देना चाहता है.
केंद्र के नए चुनाव आयुक्त विधेयक के बारे में क़ानून के जानकारों का कहना है कि इसका सबसे चिंताजनक पहलू चुनाव आयुक्तों के साथ-साथ मुख्य चुनाव आयुक्त का दर्जा सुप्रीम कोर्ट के जजों के बराबर से घटाकर कैबिनेट सचिव के बराबर करना है क्योंकि सचिव स्पष्ट रूप से सरकार के अधीन होकर काम करते हैं.
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति संबंधी विधेयक में कहा गया है कि आयुक्तों का चयन प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली समिति करेगी, जिसमें लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे. विपक्ष का कहना है कि यह क़दम चुनावों की निष्पक्षता को प्रभावित करेगा.
केंद्र सरकार के विधेयक में कहा गया है कि चुनाव आयुक्तों का चयन प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली समिति करेगी, जिसमें लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नियुक्ति समिति में पीएम और विपक्ष के नेता के साथ सीजेआई भी होंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं. इस पर विपक्ष की आपत्ति के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसका उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाए जाने की मांग की है.
वीडियो: क्या राष्ट्रपति को संसद के दोनों सदनों को संदेश भेजने का अधिकार है? राष्ट्रपति को दोनों सदनों को संबोधित करने का अधिकार कैसे मिलता है. इस बारे में बता रही हैं सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अवनि बंसल.
शीर्ष अदालत की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का स्वतंत्र तंत्र बनाए जाने की मांग संबंधी याचिकाओं को सुनते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 324 को कई दशक बीत गए, लेकिन विभिन्न दलों ने इन नियुक्तियों के लिए कोई क़ानून पेश नहीं किया. स्पष्ट है कि सत्ता में मौजूद दलों की एक ग़ुलाम आयोग के माध्यम से सत्ता में बने रहने की अतृप्त इच्छा होगी.
राष्ट्रपति भवन जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया कि आरिफ़ मोहम्मद ख़ान को केरल, डा. तमिलिसाई सुंदरराजन को तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्रा को राजस्थान, बंडारू दत्तात्रेय को हिमाचल प्रदेश और भगत सिंह कोश्यारी को महाराष्ट्र का राज्यपाल नियुक्त किया गया है.
इस साल मार्च में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पत्नी के साथ ओडिशा के पुरी जगन्नाथ मंदिर गए थे. आरोप है कि गर्भगृह के रास्ते पर कुछ सेवादारों ने उनका रास्ता रोका था और कुछ ने उनकी पत्नी के साथ धक्का-मुक्की भी की थी.
अगर देश के संविधान का मूल स्तंभ सहिष्णुता और धर्म-निरपेक्षता है, तो फिर मोदी सरकार के शुरुआती तीन साल तक संविधान के मुखिया के पद पर बैठकर प्रणब मुखर्जी ने क्या किया?
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि इस प्रकार खुलेपन की भावना और आपसी सम्मान के साथ विचारों के आदान-प्रदान से सहिष्णुता और सौहार्द की भावना तैयार करने में मदद मिलेगी.
संघ मुख्यालय, नागपुर में आरएसएस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘हमारा राष्ट्रवाद किसी क्षेत्र, भाषा या धर्म विशेष के साथ बंधा हुआ नहीं है.’
कांग्रेस ने इस पत्र में प्रधानमंत्री द्वारा छह मई को हुबली में दिए भाषण के एक अंश का हवाला देते हुए बताया, ‘नरेंद्र मोदी ने कहा, …कांग्रेस के नेता सुन लीजिए, अगर सीमाओं को पार करोगे तो ये मोदी है, लेने के देने पड़ जाएंगे…’
कलाकारों का कहना है कि राष्ट्रपति द्वारा अवॉर्ड देने की 65 साल से चली आ रही परंपरा को तोड़ा जा रहा है. वहीं राष्ट्रपति भवन ने स्पष्टीकरण दिया है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सभी पुरस्कार कार्यक्रमों में अधिकतम एक घंटे रुकते हैं, इसलिए वे केवल 11 लोगों को ही पुरस्कार देंगे.