अमेरिका की ‘2020 कंट्री रिपोर्ट्स ऑन ह्यूमन राइट्स प्रेक्टिसेस’ रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रशासन ने मीडिया की आवाज को दबाने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा, मानहानि, राजद्रोह, हेट स्पीच क़ानून के साथ-साथ अदालत की अवमानना जैसे क़ानूनों का सहारा लिया है.
उत्तर प्रदेश के ललितपुर ज़िले का मामला. समाचार पोर्टल बुंदेलखंड टाइम्स टीवी के लिए काम कर रहे विनय तिवारी का आरोप है कि रिपोर्टिंग के वक़्त प्रधान के परिजनों ने उनसे बहस की और लाठियों से हमला किया. विनय पर अवैध शराब के व्यापार की रिपोर्टिंग के लिए भी हमला हो चुका है.
ऑस्ट्रिया स्थित इंटरनेशनल प्रेस इंस्टिट्यूट और बेल्जियम स्थित इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स की ओर से कहा गया है कि स्वास्थ्य संकट (महामारी) का इस्तेमाल उन लोगों को चुप कराने के लिए किया जा रहा है, जिन्होंने सरकार की कार्रवाई में कमी को उजागर किया है.
कोविड-19 महामारी के दौरान मीडिया को लेकर जारी राइट्स एंड रिस्क एनालिसिस ग्रुप की रिपोर्ट के अनुसार 25 मार्च से 31 मई, 2020 के बीच विभिन्न पत्रकारों के ख़िलाफ़ 22 एफआईआर दर्ज की गईं, जबकि कम से कम 10 को गिरफ़्तार किया गया. इस अवधि में मीडियाकर्मियों पर सर्वाधिक 11 हमले उत्तर प्रदेश में हुए.
उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आरोप लगाया था कोविड अस्पतालों के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती मरीजों के मोबाइल फोन इस्तेमाल पर पाबंदी इसलिए लगाई गई है ताकि अस्पतालों की दुर्दशा का सच जनता तक ना पहुंचे.
एक अन्य मामले में पंजाब के एक मंत्री के ज्योतिष के प्रति रुझानों को लेकर रिपोर्ट लिखने पर एक पत्रकार के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया है.
सीतामढ़ी ज़िले में एक क्वारंटीन सेंटर में अव्यवस्थाओं के लेकर हुए प्रवासी मज़दूरों के हंगामे की ख़बर करने वाले पत्रकार पर प्रशासन की ओर से मामला दर्ज करवाते हुए कहा गया है कि पत्रकार ने मज़दूरों को उकसाया था. बेगूसराय में भी एक स्थानीय पत्रकार के ख़िलाफ़ एफआईआर हुई है.
मामला उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले का है. एक न्यूज़ पोर्टल के पत्रकार रविंद्र सक्सेना को सरकारी काम में बाधा डालने, आपदा प्रबंधन और हरिजन एक्ट आदि के तहत आरोपी बनाया गया है.
मीडिया संगठनों ने एक गुजराती समाचार पोर्टल के संपादक के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मामला दर्ज करने, हिमाचल प्रदेश में छह पत्रकारों के ख़िलाफ़ 14 एफआईआर दर्ज करने और इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार को पूछताछ के लिए बुलाने की निंदा की है.
कोरोना वायरस को फैलने के रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान हिमाचल प्रदेश में प्रवासी मज़दूरों की समस्याओं को सामने लाने और प्रशासनिक कमियों को उजागर करने के कारण कम से कम छह पत्रकारों के ख़िलाफ़ यह कार्रवाई की गई है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि मिस्र में बीते चार साल से मीडिया घरानों पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है, असंतुष्ट आवाजों को इस हद तक दबाया जा रहा है कि वहां पत्रकार होना एक अपराध बन गया है.
साल 2015 से डॉयचे वेले द्वारा यह सालाना सम्मान मीडिया के क्षेत्र में मानवाधिकार और बोलने की आज़ादी के प्रति प्रतिबद्धता से काम करने के लिए दिया जाता रहा है. इस बार यह विश्व भर के उन पत्रकारों को दिया जा रहा है, जिन्होंने कोरोना संकट के दौरान उनके देशों में सत्ता द्वारा उत्पीड़न और कार्रवाई का सामना किया है.
कांग्रेस ने विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर अपने संदेश में आरोप लगाया कि भाजपा लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को नष्ट करने पर आमादा है. हम सभी पत्रकारों से कहना चाहेंगे कि डरो मत.
यूएपीए के तहत आरोपी बनाए गए कश्मीरी पत्रकार और लेखक गौहर गिलानी की गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण एवं प्राथमिकी रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर 20 मई से पहले जवाब दाखिल करने का आदेश दिया.
कोयंबटूर के माकपा सांसद ने समाचार पोर्टल के संस्थापक की गिरफ़्तारी की निंदा की है. पत्रकार संघों ने गिरफ़्तारी की निंदा करते हुए कहा कि यह प्रेस की स्वतंत्रता के ख़िलाफ़ है.