मध्य प्रदेश के मुरैना ज़िले में विकलांगता कोटे के तहत प्राथमिक स्कूलों में नियुक्त किए गए कम से कम 77 शिक्षकों पर नौकरी के लिए फर्जी तरीके से विकलांगता प्रमाण-पत्र प्राप्त करने का केस दर्ज किया गया है. चयनित 750 शिक्षकों में से 450 ने मुरैना जिला अस्पताल द्वारा जारी प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया था.
स्कूलों के हालात को लेकर जारी एन्युअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है कि देश में 2.9 प्रतिशत स्कूलों में शौचालय की सुविधा नहीं थी, वहीं 21 प्रतिशत स्कूलों में शौचालय की सुविधा तो थी, लेकिन वे प्रयोग करने योग्य नहीं थे. यानी क़रीब 23.9 फीसदी स्कूलों में विद्यार्थी शौचालय की सुविधा से महरूम हैं.
अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में को लेकर उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण से यह प्रदर्शित होता है कि वंचित और आदिवासी बच्चे शिक्षा विभाग द्वारा असहाय छोड़ दिए गए. स्कूल दो साल बंद रहे, लेकिन बच्चों के लिए कुछ नहीं किया गया. इस दौरान ऑनलाइन शिक्षा केवल मज़ाक बन कर रह गई, क्योंकि सरकारी स्कूलों में 87 प्रतिशत छात्रों की पहुंच स्मार्टफोन तक नहीं थी.
अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कहा है कि उनका उद्देश्य स्कूली शिक्षा के संकट और आपातकालीन उपायों के लिए बजट की ज़रूरत की ओर ध्यान आकर्षित करना है. उन्होंने यह भी लिखा कि राज्य के प्राथमिक स्कूलों को सबसे लंबे समय तक बंद रखने का विश्व रिकॉर्ड है. इस दौरान कुछ चुनिंदा विशेषाधिकार प्राप्त बच्चे ही ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त कर सके.