आरोप है कि खुफिया एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) ये चारों शख्स सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के घर के बाहर जासूसी कर रहे थे.
सरकार का कहना है कि सीवीसी की सिफारिश के आधार पर आलोक वर्मा को हटाया गया है. हालांकि कानून के मुताबिक सीवीसी तब तक ऐसी सिफारिश नहीं कर सकती है जब तक की अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप दर्ज न किए गए हों.
सीबीआई विवाद: सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर है. इनका आरोप है कि राकेश अस्थाना को बचाने और राफेल सौदे की जांच से बचने के लिए सरकार ने ऐसा क़दम उठाया.
सीबीआई विवाद: वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण का कहना है कि सीबीआई नवनियुक्त अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव के ख़िलाफ़ गंभीर शिकायतें हैं. निदेशक आलोक वर्मा ने उन्हें सीबीआई से हटाने के लिए और उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की सिफ़ारिश की थी.
सीबीआई के डिप्टी एसपी एके बस्सी का अंडमान व निकोबार के पोर्ट ब्लेयर में तबादला कर दिया गया है. वहीं एडिशनल एसपी एसएस गम का तबादला कर सीबीआई जबलपुर भेज दिया गया है.
सीबीआई मुख्यालय स्थित निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के दफ़्तरों को सील किया गया. संयुक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त किया गया.
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो के भीतर हो रही जूतमपैजार भ्रष्टाचार के बदनुमा चेहरे को सामने लाने के साथ राजनीतिक नेतृत्व के शीर्ष स्तर पर सवाल खड़े करती है.
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब तक 52 देशों की यात्रा कर चुके हैं. इस दौरान कुल 165 दिन वह विदेशों में रहे हैं.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पीएमओ और केंद्र ने हमारी सरकार के कामकाज में रोड़े अटकाने के लिए उपराज्यपाल, आईएएस अधिकारियों और सीबीआई, ईडी, आयकर विभाग एवं दिल्ली जैसी एजेंसियों को लगा रखा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय की नई पहल कामयाब होती है तो संघ लोक सेवा आयोग द्वारा कराई जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करना ही आपकी पसंद की अखिल भारतीय सेवा में दाखिल होने के लिए काफी नहीं रह जाएगा.
आरटीआई कार्यकर्ता ने सूचना आयुक्त से शिकायत की थी कि पीएमओ और रिज़र्व बैंक ने उन्हें सूचना उपलब्ध नहीं कराई.
लगभग सभी सरकारें कहीं न कहीं स्वतंत्र मीडिया व ईमानदारी से काम करने वाले पत्रकारों व मीडिया संस्थाओं से घबराती हैं. उन्हें अपनी ग़लत नीतियों व फैसलों की आलोचना ज़रा भी बर्दाश्त नहीं होती.
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से कहा गया है फ़र्ज़ी ख़बरों से निपटने की ज़िम्मेदारी प्रेस काउंसिल और न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन की होनी चाहिए.
सूचना का अधिकार कानून की धारा 8(1)(जे) के तहत निजी सूचना से जुड़ी ऐसी जानकारियां नहीं देने की छूट है जिनका व्यापक जनहित से कोई संबंध नहीं है या जिससे किसी व्यक्ति की निजता में अवांछित दखल होता हो.
केंद्रीय सूचना आयोग ने आरटीआई कानून के तहत प्रधानमंत्री कार्यालय पर जुर्माना नहीं लगाया क्योंकि उसके अधिकारियों ने आरटीआई आवेदन का जवाब देने में देरी के लिए माफी मांग ली है.