इलाहाबाद विश्वविद्यालय में चार गुना फीस वृद्धि के ख़िलाफ बीते कुछ हफ्तों से छात्र आंदोलन कर रहे हैं. अब विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रदर्शनकारी छात्रों के ख़िलाफ़ दो एफआईआर दर्ज कराई हैं. छात्रों का आरोप है कि जिन छात्रों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज हुआ है, पुलिस उनके घर जाकर परिजनों को धमका रही है.
लखीमपुर खीरी ज़िले के निघासन क्षेत्र में बुधवार शाम एक खेत में 17 और 15 वर्षीय दो सगी बहनों के शव पेड़ पर फंदे से लटके मिले थे. वे दलित समुदाय की थीं. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया है कि उन्हें फांसी पर लटकाने से पहले उनके साथ बलात्कार कर उनका गला घोंटा गया था.
भारत की स्वतंत्रता के 75 साल का जश्न मनाने के लिए चल रहे ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव’ के आधिकारिक पत्राचार में देश के वर्तमान और एकमात्र ‘प्रिय नेता’ का ही ज़िक्र और तस्वीरें दिखाई दे रहे हैं.
उदयपुर में दिनदहाड़े की गई एक शख़्स की हत्या की राहुल गांधी से लेकर अरविंद केजरीवाल, पिनराई विजयन, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, मायावती, असदुद्दीन ओवैसी जैसे विभिन्न दलों के नेताओं ने एक सुर में निंदा की है. मुस्लिम संगठनों ने घटना की निंदा करते हुए कहा है कि देश के मुस्लिम तालिबानी मानसिकता को कभी स्वीकार नहीं करेंगे.
केंद्र की मोदी सरकार ने दशकों पुरानी प्रक्रिया में बदलाव करते हुए थलसेना, नौसेना और वायुसेना में भर्ती संबंधी अग्निपथ नामक योजना की बीते 14 जून को घोषणा की थी, जिसके तहत सैनिकों की भर्ती सिर्फ़ चार साल की कम अवधि के लिए संविदा आधार पर की जाएगी. इस योजना के विरोध में देश के विभिन्न हिस्सों में युवा प्रदर्शन कर रहे हैं.
थलसेना, नौसेना और वायुसेना में संविदा आधारित भर्ती योजना ‘अग्निपथ’ के ख़िलाफ़ चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स में अतिरिक्त सचिव लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि सरकार योजना लागू करने के अपने रुख़ पर कायम है. भारतीय सेना की नींव अनुशासन है. जो युवा आगज़नी और तोड़फोड़ में लिप्त हैं, वे सशस्त्र बलों की तीनों सेवाओं में नहीं शामिल हो पाएंगे.
केंद्र सरकार दशकों पुरानी रक्षा भर्ती प्रक्रिया में बदलाव करके ‘अग्निपथ’ योजना लेकर आई है, जिसके तहत युवाओं को चार साल के अनुबंध पर सेना में नौकरी पर रखा जाएगा. इसके विरोध में सेना भर्ती की तैयारी कर रहे युवाओं ने बिहार, यूपी और राजस्थान में विरोध प्रदर्शन किए हैं. पूर्व सैन्य अधिकारियों और विपक्ष ने भी योजना पर सवाल उठाए हैं.
नेशनल हेराल्ड अख़बार से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भाजपा के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2013 में एक शिकायत दर्ज कराई थी. स्वामी ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य पर धोखाधड़ी एवं धन के गबन का आरोप लगाया था. राहुल गांधी से पूछताछ के विरोध में प्रदर्शन करने वाले कई कांग्रेस नेता हिरासत में लिए गए. पार्टी ने ‘अघोषित आपातकाल’ का आरोप लगाया. भाजपा ने कहा कि कांग्रेस का प्रदर्शन गांधी परिवार के 2,000 करोड़ रुपये बचाने के लिए है.
उत्तर प्रदेश के ललितपुर ज़िले के पाली थाने का मामला. पाली के थानाध्यक्ष को निलंबित करने के साथ-साथ थाने के अन्य सभी पुलिसकर्मियों को लाइनहाज़िर कर दिया गया है. इस मामले में पांच आरोपियों को गिरफ़्तार किया गया है, जबकि आरोपी थानाध्यक्ष तथा अन्य अभियुक्तों की गिरफ़्तारी के लिए पुलिस के छह दल गठित कर उनकी तलाश की जा रही है.
जी-23 के बैनर तले असंतुष्ट खेमे के पुराने वफ़ादार नेताओं के साथ सोनिया गांधी से संवाद की कड़ियां भले ही जुड़ गई हों पर लाख टके का सवाल यह है कि बीच का रास्ता निकालने के फार्मूलों से क्या कांग्रेस के अस्तित्व को लेकर पैदा हुआ संकट टल सकेगा.
आज़ादी के बाद से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का एकछत्र राज हुआ करता था, लेकिन आज हालात ये हैं कि किसी समय राज्य की नब्बे फीसदी से अधिक (430 में से 388) सीट जीतने वाली कांग्रेस दो सीटों पर सिमट कर रह गई है.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के नतीजों में भाजपा ने पूर्ण बहुमत तो पा लिया है, लेकिन पिछली बार से उसकी 57 सीटें कम हो गईं, जिसका लाभ समाजवादी पार्टी को मिला है. इतना ही नहीं उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य समेत योगी सरकार के 11 मंत्रियों का हार का सामना करना पड़ा.
उत्तर प्रदेश में नई सरकार की तस्वीर लगभग साफ हो चुकी है. भारतीय जनता पार्टी फिर सत्ता में वापसी की ओर बढ़ रही है. हालांकि, उसकी सीट संख्या में पिछले चुनावों की अपेक्षा कमी आई है, लेकिन फिर भी प्रचंड बहुमत की प्राप्ति हुई है. वहीं, समाजवादी पार्टी के प्रदर्शन में भी सुधार देखा गया है, लेकिन बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस का लगभग सूपड़ा साफ हो गया है.
कुशीनगर ज़िले के तमकुहीराज विधानसभा क्षेत्र से पिछली दो बार से विजयी रहे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के लिए इस बार चुनावी लड़ाई आसान नहीं है. उनके विरोधी नेताओं और दलों की कड़ी घेराबंदी ने उनकी जीत की राह को कठिन बना दिया है.
2019 के लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश से सक्रिय राजनीति में क़दम रखा था, तब भले ही वे कोई कमाल नहीं दिखा सकीं, पर उसके बाद से राज्य में उनकी सक्रियता चर्चा में रही. विपक्ष के तौर पर एकमात्र प्रियंका ही थीं जो प्रदेश में हुई लगभग हर अवांछित घटना को लेकर योगी सरकार को घेरती नज़र आईं.