भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि 17 मार्च 2020 को हमारे फैसले के बाद एक भी महिला को पदोन्नति के लिए योग्य नहीं पाया गया. अदालत कैप्टन के पद पर पदोन्नति की मांग करने वाले छह अधिकारियों द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने यह आदेश एक सीआरपीएफ कॉन्स्टेबल की याचिका पर दिया, जिसमें एकल-न्यायाधीश पीठ के आदेश को चुनौती दी गई थी. एकल पीठ ने सीआरपीएफ द्वारा जारी आदेश के ख़िलाफ़ कॉन्स्टेबल की अपील को ख़ारिज कर दिया था, जिसने उन्हें इस आधार पर पदोन्नति देने से इनकार कर दिया था कि वह एचआईवी पॉजिटिव पाए गए थे.
केंद्रीय सचिवालय सेवा (सीएसएस) के प्रतिनिधित्व निकाय सीएसएस फोरम ने कहा कि अगर समय पर पदोन्नति नहीं दी गई तो केंद्रीय सचिवालय में सेक्शन अफसर (एसओ) ग्रेड में 50 प्रतिशत से अधिक रिक्तियां होंगी. फोरम ने बीते 8 जून को इस संबंध में केंद्रीय राज्य मंत्री (कार्मिक विभाग) जितेंद्र सिंह को एक पत्र लिखा था.
केंद्रीय सचिवालय सेवा के एक फोरम ने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को लिखा है कि प्रधानमंत्री द्वारा 2023 के अंत तक केंद्र सरकार के लगभग 10 लाख रिक्त पदों को भरने की घोषणा के बावजूद उनके यहां अनुभाग अधिकारियों के लगभग 45% पद ख़ाली पड़े हैं क्योंकि 2013 से कई अधिकारियों को पदोन्नत नहीं किया गया है.
सूबे में निशाना बनाकर की जा रही हत्याओं के मद्देनज़र कश्मीरी पंडित कर्मचारियों के तबादले को लेकर हो रहे प्रदर्शनों के बीच प्रशासन ने संभागीय स्तर पर पदों को फिर से नामित किया है. ऐसा होने से कर्मचारियों का कश्मीर या जम्मू संभाग के भीतर कहीं भी तबादला किया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट एससी और एसटी वर्ग से संबंधित कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित मुद्दे पर दलीलें सुन रही थी. केंद्र ने बताया कि समूह ‘ए’ और ‘बी’ की नौकरियों में प्रतिनिधित्व कम है, वहीं समूह ‘सी’ और ‘डी’ में प्रतिनिधित्व अधिक है. एससी और एसटी के लिए समूह ‘ए’ और ‘बी’ में उच्च पद पाना अधिक कठिन है.
मेडिकल कॉलेज की सीटों में ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण की घोषणा को लेकर डीएमके द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अब समय आ गया है कि देश के नागरिकों को इतना सशक्त किया जाए कि आरक्षण व्यवस्था की जगह ‘मेरिट’ के आधार पर एडमिशन, नियुक्ति और प्रमोशन हो.
बराबरी न केवल अनुच्छेद 14 के तहत मिला मौलिक अधिकार है, बल्कि संविधान की प्रस्तावना में लिखित एक उद्देश्य तथा संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा भी है. समता का सिद्धांत यह है कि समान व्यक्तियों के साथ समान बर्ताव तथा अलग के साथ अलग बर्ताव किया जाए.
तमिलनाडु के विभिन्न राजनीतिक दलों ने 2020-21 में अंडरग्रेजुएट, पोस्ट-ग्रेजुएट चिकित्सा और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए अखिल भारतीय कोटा में तमिलनाडु द्वारा छोड़ी गईं सीटों में अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
वीडियो: शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा कि पदोन्नति में आरक्षण वैकल्पिक है, अनिवार्य नहीं. राज्य इस बारे में अपने विवेक से तय कर सकते हैं, उन्हें आरक्षण देना है या नहीं. मीडिया बोल की इस कड़ी में उर्मिलेश इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के वकील केएस चौहान, वरिष्ठ पत्रकार अशोक दास और वरिष्ठ पत्रकार बिराज स्वैन के साथ चर्चा कर रहे हैं.
पायलटों का कहना है कि लंबे समय से प्रबंधन द्वारा उनकी वेतन बढ़ाने और पदोन्नति की मांग पर ध्यान नहीं दिया जा रहा, साथ ही कंपनी उन्हें इस बारे में भरोसा दिलाने में भी असमर्थ रही है.
सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को भेजे गए एक पत्र में यूजीसी ने कहा कि चयन, पदोन्नति इत्यादि में प्रकाशित कार्य की संख्या के बजाय गुणवत्ता पर जोर दिया जाना चाहिए.