द लांसेट ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि देश में स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकारी ख़र्च जीडीपी का लगभग 1.2 प्रतिशत है, जबकि इस पर आम लोगों की अपनी जेब से लगने वाला ख़र्च अधिक है.
सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी बताती है कि 2018 में शुरू हुई 'आयुष्मान भारत' योजना के तहत ख़र्च किए गए कुल धन का दो-तिहाई हिस्सा निजी अस्पतालों को गया है. 15 राज्यों में निजी अस्पतालों में इलाज कराने वाले व्यक्तियों का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत (54 फीसदी) से अधिक रहा है.
साल 2019 में भारत कैंसर से मौतों के मामले में एशिया में दूसरे स्थान पर, 9.3 लाख जानें गई थीं: अध्ययन
द लैंसेट रीजनल हेल्थ साउथ-ईस्ट एशिया जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन बताता है कि एशिया में कैंसर सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा ख़तरा बन गया है, जहां 2019 में 94 लाख नए मामले और 56 लाख मौतें देखी गईं. इनमें से 12 लाख नए मामले और 9.3 लाख मौतें भारत में दर्ज की गईं. एशिया में सबसे अधिक चीन में 27 लाख मौतें हुई थीं.
वीडियो: भारत की स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था पर द वायर ने नई श्रृंखला शुरू की है. पहले एपिसोड में भारत में किन बीमारियों का बोझ सर्वाधिक है और उनसे कैसे निपटा जा सकता है, इस बारे में एम्स, दिल्ली के डॉ. आनंद कृष्णन और द वायर की हेल्थ रिपोर्टर बनजोत कौर से बात कर रही हैं आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े भारतीय मज़दूर संघ (बीएमएस) से जुड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य और प्रारंभिक शिक्षा कर्मचारी संसद तक मार्च कर मांग करेंगे कि केंद्र सरकार उन्हें सरकारी कर्मचारी घोषित करे. बीते 22 नवंबर को भी सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग लेकर बीएमएस के बैनर तले प्रदर्शन किया था.