झारखंडः क्या ईसाई संगठनों पर दमनकारी रवैया अपना रही सरकार?

झारखंड में ईसाई संगठन और चर्च राज्य सरकार के रवैये पर लगातार सवाल खड़े कर रहे हैं. जबकि कुछ घटनाओं को केंद्र में रखकर भाजपा तथा आरएसएस-विहिप भी मिशनरी संस्थाओं पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है.

झारखंड में सामाजिक कार्यकर्ताओं पर हमले क्यों बढ़ रहे हैं?

झारखंड में सामाजिक कार्यकर्ताओं को इन दिनों कई तरह के दबावों का सामना करना पड़ रहा है. कई लोगों पर मुक़दमे दर्ज हुए हैं तो कुछ लोगों की गिरफ़्तारी हुई है. वहीं, स्वामी अग्निवेश जैसे कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की गई है.

क्या भाजपा ने झारखंड में जेवीएम के छह विधायकों को दल बदलने के लिए दिए थे 11 करोड़ रुपये?

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया है कि उनकी पार्टी के छह विधायकों को भाजपा में शामिल होने के लिए 11 करोड़ रुपये दिए गए थे. वहीं भाजपा ने आरोपों को निराधार बताते हुए मरांडी के ख़िलाफ़ मानहानि का केस करने की चेतावनी दी.

भूमि अधिग्रहण क़ानून में संशोधन के ख़िलाफ़ झारखंड बंद, सड़क पर उतरे लोग

झारखंड में भूमि अधिग्रहण क़ानून में संशोधन के ख़िलाफ़ आदिवासी संगठनों, विपक्षी दलों तथा जनता का गुस्सा फूट पड़ा है. आरोप है कि कॉरपोरेट घराने तथा पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रदेश की भाजपा सरकार ने यह क़दम उठाया है.

झारखंड में क्यों सड़कों पर ठोकरें खा रहे लाखों मानदेयकर्मी?

झारखंड में शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला बाल कल्याण जैसे महत्वपूर्ण विभागों में बड़ी तादाद में तैनात मानदेयकर्मियों को एक दिहाड़ी मज़दूर से भी कम वेतन मिलता है. लिहाज़ा प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है.

गिरिडीह के बाद झारखंड के चतरा में कथित तौर पर भूख से एक और मौत

चतरा के इटखोरी में कचरा बीनने का काम करती थी महिला. बेटे ने बताया कि वह चार दिन से भूखी थीं. झारखंड के ही गिरिडीह ज़िले में रविवार को कथित तौर पर भूख से एक और महिला की मौत हो गई थी.

झारखंड: कथित तौर पर भूख से महिला की मौत, तीन दिन से घर में नहीं जला था चूल्हा

गिरिडीह ज़िले के मंगरगड्डी गांव में रहने वाली महिला का परिवार छह महीने से मांगकर पेट भर रहा था. प्रभारी उपायुक्त ने कहा कि भूख से नहीं हुई मौत. प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी और मुखिया ने मौत की वजह भूख बताई.

पत्थलगड़ी आंदोलन से भाजपा सरकारें क्यों डरी हुई हैं?

पत्थलगड़ी आंदोलन के रूप में जनता द्वारा अपने संवैधानिक अधिकारों के प्रभावी इस्तेमाल ने कई ऐसे सवाल उठाए हैं, जिनका जवाब देना सरकारों के लिए मुश्किल हो गया है.

पत्थलगड़ी आंदोलन का उभार राजभवनों की निष्क्रियता का परिणाम है

कुछेक अपवाद छोड़ दिए जाएं तो संविधान लागू होने के बाद से आज तक किसी भी राज्य के राज्यपाल ने पांचवीं अनुसूची के तहत मिले अपने अधिकारों और दायित्वों का निर्वहन आदिवासियों के पक्ष में करने में कोई रुचि नहीं दिखाई है.

झारखंड में जारी बलात्कार की घटनाएं सुर्ख़ियों में क्यों नहीं हैं?

जम्मू कश्मीर के कठुआ और उत्तर प्रदेश के उन्नाव में गैंगरेप की घटनाओं के बीच झारखंड में बलात्कार की घटनाएं लगातार जारी हैं.

क्यों झारखंड में आदिवासी ‘पत्थलगड़ी’ आंदोलन कर रहे हैं?

ग्राउंड रिपोर्ट: झारखंड के कई आदिवासी इलाकों में इन दिनों पत्थलगड़ी की मुहिम छिड़ी है. ग्रामसभाओं में आदिवासी गोलबंद हो रहे हैं और पत्थलगड़ी के माध्यम से स्वशासन की मांग कर रहे हैं.

झारखंड: नौकरी की आस में लाखों युवा सड़क पर

झारखंड लोक सेवा आयोग और कर्मचारी चयन आयोग की प्रारंभिक परीक्षाएं होने के बाद मुख्य परीक्षा में लगातार देरी होने से राज्य के युवाओं में आक्रोश है.

मेरा झारखंड बनना अब भी बाकी है

कई बार पत्र-पत्रिकाओं के लेख आपको बता सकते हैं कि हमारे सपनों का झारखंड सपने से भी आगे जा चुका है पर इस सपने की सच्चाई देखनी हो तो गांव की पगडंडी पर आइये.

18वें साल में झारखंड: क्या भूख और कुपोषण से जीतकर राज्य विकास की नई इबारत गढ़ सकेगा?

ग्राउंड रिपोर्ट: बिहार से अलग राज्य बनने के बाद लगा था कि झारखंड आर्थिक समृ़द्धि की नई परिभाषाएं गढ़ेगा लेकिन 17 साल बाद भी राज्य से कथित भूख से मरने जैसी ख़बरें ही सुर्खियां बन रही हैं.