अयोध्या की सभा असत्य और अधर्म की नींव पर निर्मित हुई है, क्योंकि जिसे इसके दरबारीगण सत्य की विजय कहते हैं, वह दरअसल छल और बल से उपजी है. अदालत के निर्णय का हवाला देते हुए ये दरबारी भूल जाते हैं कि इसी अदालत ने छह दिसंबर के अयोध्या-कांड को अपराध क़रार दिया था.
वीडियो: अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर के ‘प्राण-प्रतिष्ठा’ समारोह को लेकर हो रही राजनीति और इस मंदिर की पृष्ठभूमि को लेकर चर्चा कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अपूर्वानंद.
वीडियो: ‘अयोध्या: द डार्क नाइट’ के लेखक-पत्रकार धीरेंद्र के झा और ‘अयोध्या: सिटी ऑफ फेथ, सिटी ऑफ डिस्कॉर्ड’ नामक किताब के लेखक-पत्रकार वलय सिंह से द वायर की संपादक सीमा चिश्ती की बातचीत.
स्मृति शेष: वरिष्ठ पत्रकार शीतला सिंह नहीं रहे. पत्रकारिता में सात दशकों की सक्रियता में उन्होंने देश-विदेश में अजातशत्रु की-सी छवि व शोहरत पाई और अपनी पत्रकारिता को इतना वस्तुनिष्ठ रखा कि उनके दिए तथ्यों की पवित्रता पर उनके विरोधी मत वाले भी संदेह नहीं जताते थे.
बिहार के राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने अयोध्या में बन रहे राम मंदिर को लेकर कहा है कि इस भारत में अब उन्मादियों के राम बचे हैं. अब लोगों के, ग़रीबों के, सबरी की जूठन खाने वाले राम भारत में नहीं, बल्कि पत्थरों के भीतर क़ैद रहेंगे.
अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विशाल सिंह ने बताया कि प्राधिकरण द्वारा अवैध रूप से ज़मीन की ख़रीद-फ़रोख़्त और निर्माण कार्य कराने वाले 40 लोगों की एक सूची जारी की गई. सूची में मिल्कीपुर क्षेत्र से पूर्व भाजपा विधायक गोरखनाथ बाबा का नाम भी शामिल है.
विश्व हिंदू परिषद की ज़िला इकाइयों की तरफ से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, राम मंदिर ट्रस्ट को दान के रूप में अब तक 3,400 करोड़ रुपये की धनराशि प्राप्त हुई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अयोध्या में रहने वाले दानदाताओं के सर्वाधिक दो हज़ार से ज़्यादा चेक बाउंस हुए हैं.
अयोध्या की राजस्व अदालत ने साल 1996 में दलित भूमि को महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट को हस्तांतरित किए जाने की प्रक्रिया को अवैध बताते हुए उक्त ज़मीन को राज्य सरकार को सौंप दिया है.
राम मंदिर क्षेत्र के पास रसूख़दारों द्वारा ज़मीनों की ख़रीद-फ़रोख़्त के गोरखधंधे में घिरी अयोध्या की एक चिंता यह भी है कि सत्ता समर्थित मूल्यहीन भव्यता के हवाले होती-होती वह राम के लायक भी रह पाएगी या नहीं?
इसमें से पांच मामलों में लेन-देन को लेकर हितों के टकराव का मामला उत्पन्न होता है, क्योंकि महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट ने जो ज़मीन बेची है, वह दलितों से ज़मीन खरीदते समय कथित अनियमितताओं को लेकर जांच के दायरे में है. इस मामले की जांच वही अधिकारी कर रहे हैं, जिनके रिश्तेदारों ने ज़मीन खरीदी है.
वीडियो: वरिष्ठ पत्रकार और लेखक नीलांजन मुखोपाध्याय की नई किताब ‘द डिमोलिशन एंड द वर्डिक्ट: अयोध्या एंड द प्रोजेक्ट टू रिकन्फिगर इंडिया’ हाल ही में आई है. इस किताब के ज़रिये राम जन्मभूमि-अयोध्या आंदोलन के भारत की राजनीति और समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर नीलांजन से महताब आलम की बातचीत.
सुप्रीम कोर्ट ने पूजा स्थल अधिनियम 1991 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है. राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के बीच तत्कालीन पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने यह क़ानून पारित किया था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दूसरे किसी पूजा स्थल पर विवाद नहीं खड़ा हो सके. इसके तहत अयोध्या को छोड़कर सभी धर्म और पूजा स्थलों की स्थिति, अधिकार और मालिकाना हक़ 15 अगस्त 1947 के पहले जैसे ही बरक़रार रहेंगे.