संघ परिवार एक बार में पूरा एजेंडा सामने नहीं लाता: मोहन भागवत

एक कार्यक्रम के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जब 1925 में आरएसएस का गठन हुआ था, तब कोई नहीं जानता था कि असली एजेंडा क्या है. सभी को बताया गया कि इसका गठन हिंदुओं को एक छत के नीचे एकजुट करने के इरादे से किया गया था. रामजन्मभूमि जैसे मुद्दे हमारे पर्याप्त ताक़त हासिल करने के बाद ही सामने आए.

बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद का क़ानूनी पटाक्षेप अंत नहीं महज़ शुरुआत था…

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद जिन सदाशयी लोगों को लगता था कि इसके बहाने होने वाले सांप्रदायिक विद्वेष की बला अब उनके सिर से हमेशा के लिए टल जाएगी, उसका राजनीतिक दुरुपयोग बंद हो जाएगा, देश-प्रदेश का राजनीतिक नेतृत्व उनकी भोली उम्मीदों पर पानी फेरने को तैयार है.

बाबरी मसले पर कोर्ट का फ़ैसला सिर्फ इसलिए सही क्योंकि दोनों पक्षों ने इसे स्वीकारा: चिदंबरम

पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान ख़ुर्शीद की पुस्तक 'सनराइज़ ओवर अयोध्या- नेशनहुड इन अवर टाइम्स' का विमोचन करने के बाद कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का क़ानूनी आधार बहुत संकीर्ण है, लेकिन दोनों पक्षों ने इसे स्वीकार किया, इसलिए यह सही है. ऐसा नहीं है कि यह सही निर्णय था.

यूपी: बाबरी मस्जिद मामले में सभी आरोपियों को बरी करने वाले जज को उप-लोकायुक्त बनाया

सुरेंद्र कुमार यादव ने 30 सितंबर 2020 को सीबीआई के विशेष जज के तौर पर सुनाए फैसले में 1992 बाबरी विध्वंस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती व कल्याण सिंह समेत सभी आरोपियों को बरी किया था. अब राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उन्हें प्रदेश का तीसरा उप लोकायुक्त नियुक्त किया है.

बाबरी विध्वंस पर फ़ैसला सुनाने वाले पूर्व जज की सुरक्षा बढ़ाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

सीबीआई के विशेष जज एसके यादव ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की संवेदनशीलता के मद्देनज़र अदालत से अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा बढ़ाए जाने की मांग की थी. 30 सितंबर को उन्होंने इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी सहित सभी 32 आरोपियों को बरी किया था.

बाबरी मस्जिद धर्म के लिए नहीं, सत्ता पाने के लिए ढहाई गई थी: आनंद पटवर्धन

साक्षात्कार: देश के नामचीन डॉक्यूमेंट्री फिल्मकारों में से एक आनंद पटवर्धन ने 90 के दशक में शुरू हुए राम मंदिर आंदोलन को अपनी डॉक्यूमेंट्री 'राम के नाम' में दर्ज किया है. बाबरी विध्वंस मामले में विशेष सीबीआई अदालत के फ़ैसले के मद्देनज़र उनसे बातचीत.

बाबरी मस्जिद विध्वंस फ़ैसला और हिंदी अख़बारों के संपादकीय

बाबरी विध्वंस मामले को लेकर सीबीआई कोर्ट के फ़ैसले की आलोचना पर जहां अंग्रेज़ी अख़बारों के संपादकीय मुखर रहे, वहीं हिंदी अख़बारों के संपादकीय ‘बीती ताहि बिसार दे’ वाला रवैया अपनाते दिखे.

बाबरी विध्वंस की साज़िश को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आईबी रिपोर्ट पेश की गई थी: पूर्व गृह सचिव

बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय केंद्रीय गृह सचिव रहे माधव गोडबोले ने कहा है कि मस्जिद गिराने की साज़िश रची गई थी और इसी आधार पर उन्होंने तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार को बर्ख़ास्त करने की सिफ़ारिश की थी.

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला: दो एफआईआर की कहानी

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की शुरुआत इस बारे में दर्ज दो एफआईआर 197 और 198 से हुई थी. पहली एफआईआर विध्वंस के ठीक बाद अयोध्या थाने में लाखों अज्ञात कारसेवकों के ख़िलाफ़ दर्ज हुई थी और दूसरी जिसमें भाजपा, संघ और बाकी संगठनों के नेता नामजद थे.

बाबरी विध्वंस फैसला न्याय से दूर, इसके ख़िलाफ़ मुस्लिमों की ओर से अपील की जाएगी: एआईएमपीएलबी

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भाजपा नेताओं समेत 32 आरोपियों को बरी किए जाने पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि विशेष सीबीआई अदालत का यह फैसला ग़लत है. अदालत ने सबूतों को नज़रअंदाज़ कर यह निर्णय दिया है. वहीं राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले के मुद्दई रहे इक़बाल अंसारी ने इस फैसले का स्वागत किया है.

संघ-वीएचपी के लोग संभाले हुए थे व्यवस्था, अराजक कारसेवकों ने गिराई बाबरी मस्जिद: सीबीआई कोर्ट

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भाजपा नेताओं समेत 32 लोगों को बरी करते हुए विशेष सीबीआई अदालत ने कहा था कि कुछ अराजक कारसेवकों के समूह द्वारा मस्जिद गिराई गई थी और ऐसे लोगों को रामभक्त नहीं कहा जा सकता है. मस्जिद गिराना पूर्व नियोजित साज़िश नहीं थी.

बाबरी विध्वंस फ़ैसला: छल और बल का न्याय

समाज से न्याय का बोध लुप्त हो सकता है, उससे भी ख़तरनाक है जब वह इंसाफ़ की परवाह ही न करे. भारत का बहुसंख्यक समाज अभी अपने बाहुबल के नशे में है. न्याय उसके लिए अप्रासंगिक हो चुका है. वह जानता है कि उसके नाम पर जो हो रहा है, वह अन्याय है, लेकिन वह इससे परेशान नहीं बल्कि प्रसन्न है.

बाबरी विध्वंस की योजना बारीकी से बनाई गई थी, उमा भारती ने ख़ुद ज़िम्मेदारी ली थी: जस्टिस लिब्रहान

बाबरी मस्जिद विध्वंस की जांच के लिए 1992 में जस्टिस एमएस लिब्रहान की अगुवाई में लिब्रहान आयोग का गठन किया गया था, जिसने साल 2009 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. आयोग ने कहा था कि कारसेवकों का जुटान अचानक या स्वैच्छिक नहीं था, बल्कि योजनाबद्ध था.

क्या बाबरी मस्जिद के मुजरिमों को मिलेगी सज़ा?

वीडियो: 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को कारसेवकों की एक भीड़ ने ढहा दिया, जिसे लेकर देशभर में सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया, हिंसा हुई और हज़ारों लोग इस हिंसा की बलि चढ़ गए. इस मुद्दे पर द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.

‘अदालत को बाबरी विध्वंस सुनियोजित नहीं लगा, पर उनका फ़ैसला पूर्व नियोजित लगता है’

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए विशेष सीबीआई अदालत ने कहा कि सीबीआई पर्याप्त सबूत नहीं दे सकी. बाबरी मस्जिद विध्वंस सुनियोजित नहीं था और असामाजिक तत्व गुंबद पर चढ़े थे. हालांकि, विध्वंस के गवाहों में से एक वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान फैसले पर सवाल उठा रहे हैं.