मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने कहा, जेएनयू का आरोप पत्र रामजस कॉलेज विवाद के मामले में प्रासंगिक नहीं है. ये दो अलग मामले हैं.
अदालत ने कहा, अगर आइसा और एबीवीपी के बीच फिर से झड़प होती है, क्या इसे देशद्रोह कहा जाएगा. वॉट्सऐप पर सामग्री से छेड़छाड़ वाले कई वीडियो चल रहे हैं.
हिंसा में दो पक्ष ज़रूर होते हैं, लेकिन बराबर नहीं. हिटलर की जर्मनी में भी दो पक्ष थे और गुजरात में भी दो पक्ष थे. जेएनयू में भी दो पक्ष थे और रामजस कॉलेज में भी दो पक्ष हैं. उनमें से एक हमलावर है, और दूसरा जिस पर हमला हुआ, यह कहने में हमारी संतुलनवादी ज़बान लड़खड़ा जाती है.
शहीद की बेटी के नाम एक ख़त: ‘अभय व्यक्ति राष्ट्र की सबसे बड़ी निधि है और उसका अभिप्राय केवल शारीरिक साहस से ही नहीं, बल्कि मानसिक निर्भयता से भी है.’
‘आवारा’ भीड़ अब दिल्ली विश्वविद्यालय के सम्मानित प्रोफेसरों को अपना निशाना बना रही है.