बॉम्बे हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत की मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की याचिका पर सुनवाई के लिए दो दिसंबर की तारीख निर्धारित की है. नवलखा की याचिका के साथ ही मामले में सह आरोपी आनंद तेलतुंबड़े की याचिका पर भी सुनवाई होगी.
पुणे की विशेष अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया नवलखा के खिलाफ ऐसे सबूत हैं जो साबित करते हैं कि वे प्रतिबंधित संगठन के एक सदस्य ही नहीं बल्कि सक्रिय नेता हैं. इसलिए उनकी हिरासत में पूछताछ जरूरी है. भीमा कोरेगांव हिंसा मामला में गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट से गिरफ्तारी से संरक्षण मिला हुआ था.
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ 14 नवंबर से इस मामले की सुनवाई करेगी. केंद्र को पांच अगस्त के राष्ट्रपति आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अपना जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए कहा गया था.
आरोप है कि सुरक्षा बलों ने इन नाबालिगों को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने संबंधी अनुच्छेद 370 के ज़्यादातर प्रावधानों को निरस्त करने के फैसले के बाद हिरासत में लिया था.
देश के अगले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने यह भी कहा कि सरकार जजों की नियुक्ति में देरी नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि किसी मामले की सुनवाई से हटने के संबंध में जज को कोई कारण बताने की जरूरत नहीं है.
हाल ही में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने केंद्र सरकार को एक पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट में अपने बाद वरिष्ठतम न्यायाधीश एसए बोबडे को अपना उत्तराधिकारी बनाने की सिफ़ारिश की थी.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस एसए बोबडे के नाम की सिफ़ारिश करते हुए विधि एवं न्याय मंत्रालय को पत्र लिखा है.
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में महाराष्ट्र सरकार के वकील ने जब मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को और अंतरिम संरक्षण दिए जाने का विरोध किया तो सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि उन्होंने एक साल से ज्यादा समय तक उनसे पूछताछ क्यों नहीं की.
सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में गृह मंत्रालय ने कहा है कि इस संबंध में हमारे पास कोई जानकारी नहीं है. ये जानकारी जम्मू कश्मीर सरकार के पास हो सकती है, लेकिन इस आवेदन को वहां ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है क्योंकि केंद्रीय आरटीआई कानून वहां लागू नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले में गौतम नवलखा को राहत देते हुए महाराष्ट्र सरकार से कहा है कि जब तक अदालत में सुनवाई जारी है, उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाए.
सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में खुद के खिलाफ दर्ज एफआईआर निरस्त करने के लिए याचिका दायर की है. सीजेआई रंजन गोगोई सहित अब तक कुल चार जज इस मामले की सुनवाई करने से खुद को अलग कर चुके हैं.
जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस समिति ने सुप्रीम कोर्ट में सौंपी अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है. रिपोर्ट में पुलिस ने किसी भी बच्चे को गैरकानूनी तौर पर हिरासत में लेने के आरोपों से इनकार किया है.
सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में खुद के खिलाफ दर्ज एफआईआर निरस्त करने के लिए याचिका दायर की है. अदालत ने कहा कि नवलखा की अपील अब तीन अक्टूबर को किसी अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध की जाएगी.
सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा उनके ख़िलाफ़ एफआईआर रद्द करने से इनकार करने के फ़ैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है.
जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने हिरासत में रखे गए नाबालिगों के रिश्तेदारों की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं में से एक मामले में 10 दिन के भीतर जांच पूरी करने के आदेश दिए हैं जबकि दूसरे मामले में सरकार से जवाब मांगा है.