सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से यह जानना चाहा है कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत यौनकर्मियों को तुरंत क्या राहत प्रदान की जा सकती है. अदालत ने कहा कि राशन कार्ड न होने की वजह से लोगों को राशन नहीं मिल पा रहा है. वे गंभीर संकट में हैं.
केंद्र द्वारा ‘सफल’ घोषित की गई इस योजना के तहत आठ लाख टन खाद्यान्न वितरण का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार इसमें से सिर्फ 2.65 लाख टन राशन का वितरण हुआ है.
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत भी जून महीने में कम से कम 15.58 करोड़ लाभार्थियों को राशन नहीं मिला है. कम वितरण के कारण अब केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत प्रवासी मज़दूरों को राशन देने की समयसीमा बढ़ाकर 31 अगस्त 2020 तक कर दी है.
साक्षात्कार: कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन में गरीबों को मदद देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज की घोषणा की गई थी, जिसे ज़मीन पर उतारने का ज़िम्मा उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय को मिला था. इस बारे में मंत्री रामविलास पासवान से बातचीत.
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी की गई प्रेस रिलीज से यह भी पता चलता है कि सरकार को अप्रैल और मई महीने में जितनी दाल बांटनी चाहिए थी, उसका सिर्फ 40 फीसदी ही बांटा गया है.
आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों और गरीबों को खाद्यान्न देना पर्याप्त नहीं है. उन्हें खाना पकाने के लिए सब्जियां और तेल की भी आवश्यकता होती है और सबसे महत्वपूर्ण पैसा और आश्रय की जरूरत है.
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत इस समय देश में कुल 80.32 करोड़ लाभार्थी हैं, लेकिन अप्रैल महीने में इसमें से 60.33 करोड़ लोगों को ही अतिरिक्त राशन दिया गया.
इन संगठनों ने आवागमन पर लागू प्रतिबंध में फंसे श्रमिकों को मुफ्त यात्रा की व्यवस्था किए जाने और सभी जरूरतमंदों को मुफ्त राशन देने की भी मांग की है.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद के दौरान नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने यह भी कहा कि जरूरतमंदों के लिए तीन महीने तक अस्थायी राशन कार्ड मुहैया कराने की जरूरत है.
देश के 24 राज्यों के 529 ज़िलों में कुल मिलाकर 14.13 करोड़ राशन कार्ड हैं, जिसमें से अब तक में 8.49 करोड़ राशन कार्ड पर ही अनाज दिया गया है. इसका मतलब है कि अब भी 5.64 करोड़ राशन कार्ड पर अतिरिक्त राशन मिलना बाकी है.
उत्तर प्रदेश में गोरखपुर ज़िले के रहने वाले सुनील दिल्ली में रहते थे. चेचक से मौत हो गई. लॉकडाउन और गरीबी की वजह से परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि वे पार्थिव शरीर को पैतृक गांव में ला पाते, इसलिए बेटे को एक पुतले का अंतिम संस्कार करना पड़ा.
केंद्र सरकार ने भारतीय खाद्य निगम के पास उपलब्ध अधिशेष चावल को एथनॉल में तब्दील करने की योजना को मंजूरी दे दी. विपक्षी दलों समेत कई विशेषज्ञों ने इसकी आलोचना की है.
अर्थशास्त्रियों ने कहा कि हमें कम से कम इतना करने की जरूरत है ताकि लोगों को ये विश्वास हो कि समाज उनकी चिंता करता है और उनकी न्यूनतम देखभाल सुनिश्चित है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इन 15 राज्यों के 270 ज़िलों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत बने 5.70 करोड़ राशन कार्ड में 1.43 करोड़ राशन कार्ड पर ही इस महीने अब तक अतिरिक्त राशन मिला है. मतलब अब भी 75 फीसदी राशन कार्ड धारकों को इसका लाभ नहीं मिला है.
झारखंड के सिमडेगा में साल 2017 में संतोषी नाम की 11 साल की एक बच्ची की भूख की वजह से मौत हो गई थी. इस बच्ची की मां और बहन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. परिवार का कहना है कि आधार से राशन कार्ड के लिंक नहीं होने की वजह से उनके परिवार को राशन नहीं दिया गया था.