आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद बताया कि बढ़ती महंगाई को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 4.9 प्रतिशत कर दिया गया है. केंद्रीय बैंक के इस क़दम से ऋण महंगा होगा और क़र्ज़ की मासिक किस्त यानी ईएमआई बढ़ेगी.
रिज़र्व बैंक का ध्यान जहां देश के ऋण प्रबंधन और विकास को गति देने पर ही केंद्रित है, वहीं महंगाई दिन दूनी-रात चौगुनी रफ़्तार से बढ़ती जा रही है.
द रिपोर्टर्स कलेक्टिस को आरटीआई के ज़रिये मिले दस्तावेज़ दिखाते हैं कि वित्त मंत्रालय ने भारतीय रिज़र्व बैंक को साल 2020 में मुद्रास्फीति लक्ष्य से चूकने के लिए जवाबदेही से बचने का मौका दिया.
भारत सरकार ने अपने केंद्रीय बैंक से ब्याज दरों में कटौती करने की कहते हुए उस पर विकसित देशों के पक्ष में यह दरें निर्धारित करने का आरोप लगाया था.
रेपो दर वह दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक दूसरे बैंकों को नकदी उपलब्ध कराता है जबकि रिवर्स रेपो दर पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यक बैंकों से अतिरिक्त नकदी वापस लेता है.